दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे 335 शिक्षकों के प्रमाण-पत्रों की जांच होगी। इस संबंध में शिक्षा निदेशालय ने जिला उपशिक्षा निदेशकों को निर्देशित किया है। शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी सूची में 335 शिक्षकों पर फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी पाने का आरोप है। जिसकी जांच दिल्ली पुलिस कर रही है।
दिल्ली पुलिस ने 31 दिसंबर को शिक्षा निदेशालय के साथ पत्राचार कर सूची में शामिल शिक्षकों की जाति और अन्य प्रमाण-पत्रों के बारे में जानकारी मांगी थी। इसके बाद शिक्षा निदेशालय ने 11 जनवरी को जिला उपशिक्षा निदेशकों को 15 दिन का समय देते हुए निर्देशित किया था। जिसके तहत 25 जनवरी तक जांच रिपोर्ट जमा करानी है।
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दिल्ली पुलिस ने निदेशालय को पत्र भेजकर सूची में शामिल शिक्षकों की अनुसूचित जाति और जनजाति के हैं या नहीं इस संबंध में जानकारी मांगी है। साथ ही शिक्षकों की तरफ से नियुक्ति के समय जमा कराए गए तहसीलदार की तरफ से जारी जाति प्रमाण-पत्रों की जानकारी मांगी है। वहीं, अगर किसी ने प्रमाण पत्र जमा नहीं कराया है, उनके जिले के तहसीलदारों से भी रिपोर्ट लेने को कहा गया है।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी प्राप्त करने के मामले में वर्ष 2018 में एफआईआर हुई थी। उस दौरान दिल्ली विधानसभा के तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आर्थिक अपराध शाखा के समक्ष एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अपनी जांच तेज कर दी है। वहीं, इस मामले में शिक्षक संघ ने जांच जल्द पूरी करने की मांग की है।
संघ के पदाधिकारी संतराम ने कहा कि जो दोषी होगा उसे जल्द सजा मिलनी चाहिए, लेकिन यह मामला वर्ष 2018 का है। इन सूची में शामिल कई शिक्षक अब पदोन्नति भी पा चुके हैं, ऐसे में जांच में देरी बेकसूर शिक्षकों को तनाव में डाल रही है।