आषाढ़ मास का पहला प्रदोष ( Som Pradosh) व्रत सोमवार के दिन पड़ रहा है। सोमवार को पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। विशेष रूप से वैवाहिक बाधाओं को दूर करने और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सोम प्रदोष ( Som Pradosh) व्रत बहुत प्रभावशाली माना जाता है। वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करने, शीघ्र विवाह के योग बनाने और दांपत्य जीवन में सुख-शांति लाने के लिए सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के खास मंत्रों का जाप करें।
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 23 जून को तड़के सुबह 1 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और 23 जून को ही रात 10 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, प्रदोष व्रत 23 जून को रखा जाएगा। प्रदोष में निशिता काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है।
इन मंत्रों का करें जाप
“ॐ नमः शिवाय”: यह भगवान शिव का मूल मंत्र (मूल मंत्र) है। यह सबसे शक्तिशाली और सर्वव्यापी मंत्रों में से एक है। इसका जाप करने से मन शांत होता है, सभी बाधाएं दूर होती हैं और भगवान शिव की सीधी कृपा प्राप्त होती है। वैवाहिक बाधाओं के लिए यह अत्यंत प्रभावी है। प्रदोष काल में भगवान शिव के समक्ष बैठकर रुद्राक्ष की माला से कम से कम 108 बार जाप करें।
“ॐ पार्वतीपतये नमः”: यह मंत्र भगवान शिव को माता पार्वती के पति के रूप में संबोधित करता है, जिससे शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद एक साथ प्राप्त होता है। वैवाहिक संबंधों को मजबूत करने और जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए यह बहुत शुभ है। शिव-पार्वती की युगल प्रतिमा के सामने बैठकर इस मंत्र का जाप करें।
“ॐ महादेवाय नमः”: यह मंत्र भगवान शिव के विराट और कल्याणकारी स्वरूप को समर्पित है। इसका जाप करने से जीवन की सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं, जिसमें वैवाहिक बाधाएं भी शामिल हैं। आप इस मंत्र का जाप शिव मंदिर में या अपने घर के पूजा स्थल पर कर सकते हैं।
शिव गायत्री मंत्र: “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥” यह भगवान शिव को समर्पित गायत्री मंत्र है, जो ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। यह मन को शांत करता है और विवाह संबंधी सही निर्णय लेने में मदद करता है।
वैवाहिक जीवन के लिए विशेष मंत्र: “हे गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया। मां कुरु कल्याणि कांत कांतां सुदुर्लभाम्॥” यह मंत्र विशेष रूप से शीघ्र विवाह और मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए समर्पित है। इसमें माता पार्वती से प्रार्थना की जाती है कि जिस प्रकार वे शंकर प्रिया हैं, वैसे ही उपासक को भी एक दुर्लभ और प्रिय पति/पत्नी प्राप्त हो। प्रदोष काल में माता पार्वती और भगवान शिव की युगल प्रतिमा के समक्ष इस मंत्र का श्रद्धापूर्वक जाप करें।