सियाराम पांडे ‘शांत’
कोरोना की दूसरी लहर बहुत तेजी के साथ फैल रही है। इस लहर में संक्रमित होने वालों में भय इस बात को लेकर भी है कि जिस तरह के अध्ययन आ रहे हैं, वे बेहद डराने वाले हैं। कोरोना का मौजूदा स्ट्रेन फेफड़ों पर गहरा असर डाल रहा है। महज कुछ दिनों में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा 1.68 लाख संक्रमण प्रतिदिन के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया है, लेकिन इन विकट परिस्थितियों के बावजूद भारत की लड़ाई और पुख्ता होती जा रही है।
कोरोना की पहली लहर जब देश में आयी थी तब न बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं थीं, न पर्याप्त जांच और इलाज की व्यवस्था थी और न ही देश में कोई वैक्सीन ही विकसित की जा सकी थी। लेकिन दूसरी लहर हालांकि पहले से अधिक तेज और भयावह है, लेकिन जिस तरह कोरोना के प्रभावी शमन के लिए एक के बाद एक वैक्सीन ईजाद की जा रही है, स्वास्थ्य सुविधाओं एवं संसाधनों को विकसित किया जा रहा है उससे एक बात स्पष्ट है कि जितनी तेजी से दूसरी लहर फैली है उतनी ही तेजी से यह गायब भी होगी। तेज के साथ वैक्सीनेशन इस बात की गारंटी भी है कि तीसरी लहर की संभवना भी खत्म हो जायेगी।
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लेकिन इन उपलब्धियों के लिए देश को अपने संसाधनों को एकत्र कर कोरोना विरोधी जंग में लगाना होगा और देश वासियों को भी सरकार के प्रयासों में सहयोग देना होगा। कोरोना ऐसी महामारी है कि इससे न तो सरकार अकेले निपट सकती है और न ही कोई एक व्यक्ति या संस्था। इसमें सामूहिक प्रयास की जरूरत है। इसलिए संकट के समय पूरे देश को एकजुट होकर कोरोना के खिलाफ अभियान को तेज करना चाहिए ताकि जल्द से जल्द इस वायरस को शिकस्त देकर सामान्य स्थितियां वापस लायी जा सकें। दरअसल कोरोना की दूसरी लहर हमारी लापरवाही का ही परिणाम है। जैसे पहली लहर हमारे चूक के कारण फैली थी, ठीक दूसरी लहर भी लापरवाही के कारण ही फैली है। दुनिया के अधिकांश देश कोरोना की दूसरी, तीसरी लहर से जूझ रहे हैं। यह महामारी दो-तीन महीने तक तबाही मचाने के बाद कुछ समय के लिए कमजोर हो जाती है और जैसे ही लोग सामान्य जीवन में लौटते ही धीरे-धीरे यह फैल जाती है और अचानक फिर से जकड़ लेती है।
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अमेरिका, इंगलैंड, इटली, ब्राजील, मैक्सिको, स्पेन, पोलैंड जैसे सर्वाधिक प्रभावित देशों में तीसरी-चौथी लहर का कहर चल रहा है। देश की राजधनी दिल्ली में ही चौथी लहर का प्रकोप है और हरेक लहर पिछले से कहीं अधिक तगड़ी और घातक होती है। इसलिए अब देशवासियों को कोरोना के चरित्र को अच्छी तरह से पहचान लेना चाहिए और इस बीमारी को खत्म करने के लिए न सिर्फ सभी जरूरी सावधानियों को अपनाना चाहिए बल्कि टीकाकरण में भी सहयोग देना चाहिए। जिनकी उम्र टीका लगवाने लायक है वे वैक्सीनेशन सेंटर पहुंच कर टीका लगवायें और जिनकी उम्र नहीं है वे अपने परिजनों को वैक्सीन दिलाने और लोगों को जागरुक करने का प्रयास करें।
इस तरह छोटे-छोटे प्रयास एक दिन बड़े परिणाम देंगे, क्योंकि अब देश के पास कोरोना को खत्म करने के लिए पर्याप्त हथियार हैं। साल के शुरुआत में ही कोवीशील्ड और कोवैक्सिन को भारत ने मंजूरी दे दी थी और अब तीसरी वैक्सीन स्पुतनिक-वी को मंजूरी मिलने वाली है। जल्द ही कुछ और वैक्सीन भी आ सकती हैं जैसे-जैसे वैक्सीन की संख्या और उत्पादन बढ़ेगा तो टीकाकरण अभियान भी तेज होगा और अधिक से अधिक आबादी टीके से सुरक्षित हो जायेगी तो कोरोना के खत्म होने की संभावना भी प्रबल हो जायेगी।
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कई राज्यों में जिस तरह लॉकडाउन लाए जानेकी बातें हो रही हैं, उससे एक बार फिर प्रवासी मजदूरों कापलायन तेज हो गया है। इस स्थिति पर अविलंब रोक न लगी तो देश में कोरोना विस्फोट को संभाल पाना मुश्किल हो जाएगा। नवरात्र और रमजान को लेकर जिस तरह धार्मिक स्थलों पर संख्यात्मक प्रतिबंध हटाए जाने की बात हो रही है, वह भी किसी खतरे से कम नहीं है। लॉकडाउन के अपने खतरे हैं। लोगों के हाथ में काम ही न होगा तो दाम कहां से आएगा और अर्थाभाव में लोगों का क्या होगा। इसलिए जरूरी है कि जनहित का ख्याल रखकर ही कोई भी कदम उठाया जाए।