गोरखपुर : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिलों की मलिन बस्तियों और गली-कूचों में कोरोना वायरस ज्यादा असर नहीं दिखा पा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की जांच से हुए खुलासे में इस बात की पुष्टि हुई है। 155 से अधिक लोगों की हुई कोरोना जांच से पता चला है कि मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता आम शहरी लोगों के मुकाबले बहुत अधिक होती है। उनमें से किसी की रिपोर्ट निगेटिव आई है। इस खबर से स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने राहत की सांस ली है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक भी आश्चर्यचकित हैं। लिहाजा, चिकित्सकों ने शोध का फैसला किया है।
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शासन की पहल पर 20 और 21 नवंबर को शहर के तुर्कमानपुर, आम बाजार और मोहद्दीपुर में मलिन बस्तियों में कोरोना जांच का शिविर लगाया गया था। अलग-अलग उम्र के 155 लोगों के सैंपल लिए गए। सबकी एंटीजन किट व आरटीपीसीआर जांच कराई गई लेकिन एक भी रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई। यही नहीं, मलिन बस्ती में रहने वाले लोगों के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी मिली है। जिनकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है, उनपर कोरोना वायरस का तेज वार नहीं हो पाता है। इस रिपोर्ट से स्वास्थ्य महकमा उत्साहित है।
दरअसल, मलिन बस्तियों में साफ-सफाई की समस्या रहती है। कामकाज के चक्कर में रोजाना महिला व पुरुषों को घर से बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है लेकिन ताजा रिपोर्ट से धारणा बदल गई है। कोरोना के लिहाज से इस तरह की बस्तियां ज्यादा सुरक्षित पाई गई हैं। शहर के पॉश इलाकों में संक्रमण ज्यादा है।
गोरखपुर के सीएमओ डॉ श्रीकांत तिवारी ने बताया कि मलिन बस्तियों में कोरोना का संक्रमण न मिलना सुखद है। बस्तियों निवासियों की प्रतिरोधक क्षमता एयरकंडीशन में रहने वाले लोगों से बेहतर मिली है। इसकी रिपोर्ट भी बनाकर शासन को भेजी जा चुकी है।
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16 बच्चों की रिपोर्ट भी निगेटिव
मलिन बस्तियों से जिन 155 लोगों के नमूने लिए गए थे, उनमें से 16 बच्चे थे। इनकी उम्र 12 साल से कम थी। छह बच्चे दो साल से कम उम्र के हैं। खास बात यह थी कि इन बच्चों को सर्दी और जुकाम भी था लेकिन कोरोना संक्रमण नहीं मिला। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को लग रहा था बच्चे पॉजिटिव आ सकते हैं, लेकिन वह भी निगेटिव निकले। बच्चों की भी इम्युनिटी बेहतर मिली है।