नई दिल्ली। भारतीय सेना ने एक शीर्ष कमांडर और उनके सहयोगी इन कमांड के बीच जारी मतभेद की खबरें हैं। इस मामले की जांच के लिए सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (सीओआई) का आदेश दिया है। यह जानकारी इस मामले से परिचित एक अधिकारी ने मंगलवार को दी है। बता दें कि सेना में इस रैंक के अधिकारियों के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का यह रेयर मामला है।
सेना के इस आदेश से पहले पिछले साल सितंबर में सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने सेना के दो वरिष्ठ अधिकारियों के बीच आई दरार को दूर करने की जिम्मेदारी एक सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल को दी थी।
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अधिकारी ने बताया कि सेंट्रल आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आईएस घुमान इस कोर्ट ऑफ इंक्वायरी को देखेंगे। लेफ्टिनेंट जनरल आईएस घुमान उन दोनों अधिकारियों से वरिष्ठ हैं। जयपुर स्थित दक्षिण पश्चिमी कमान के प्रमुख और उनके चीफ ऑफ स्टाफ के बीच कमांड मुख्यालय में अलग-अलग कार्यालयों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को लेकर मतभेद सामने आए थे।
कौन हैं शीर्ष अधिकारी ?
दक्षिण पश्चिमी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आलोक कलेर हैं, जो एक बख्तरबंद कोर अधिकारी हैं। जबकि उनकी कमांड के दूसरे शीर्ष अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल केके रेप्सवाल हैं, जो कोर ऑफ इंजीनियर्स से हैं। इन दोनों शीर्ष अधिकारियों के बीच जिम्मेदारियों को लेकर मतभेद सामने आए थे, जिसके बाद मतभेद दूर करने का फैसला किया गया।
जनरल एसके सैनी को सौंपी थी यह जिम्मेदारी
सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने पिछले साल सितंबर में इस मामले को देखने के लिए तत्कालीन उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एसके सैनी को नामित किया था। जनरल एसके सैनी को कमांड मुख्यालय के कामकाज को कारगर बनाने के उपाय सुझाने समेत एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था। जनरल एसके सैनी 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो गए।
बता दें कि सेना की दक्षिण पश्चिमी कमान में तकरीबन 1,30,000 सैनिक हैं। दक्षिण पश्चिमी कमान राजस्थान और पंजाब में भारतीय सीमा की सुरक्षा करती है।