लखनऊ। उर्दू के मशहूर शायर मुनव्वर राना ने अयोध्या में मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा है कि इससे इंसाफ नहीं मिला। उन्होंने कहा कि विवाद में फैसला तो आया, लेकिन न्याय नहीं मिला। मुनव्वर राना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानना अब मजबूरी है और वह इसे मान रहे हैं। लेकिन इंसाफ नहीं हुआ।
शायर मुनव्वर राना ने कहा कि वह दुखी हैं, खफा हैं। उन्होंने राम मंदिर पर आए फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोगोई और एसए बोबडे के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल भी किया।
यूपी सचिव मुख्यमंत्री की बैठक में फोन पर गेम खेलते दिखे अधिकारी, ये है कोरोना से लड़ने की तैयारी
मुनव्वर राना ने इसके साथ ही यह भी कहा कि भूमि पूजन में प्रधानमंत्री को नहीं आना चाहिए था। साथ ही मुसलमानों को भी इसमें भागीदारी दी जानी चाहिए थी, उन्हें बुलाया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि वह शायर रहे हैं और शायरों की तरह ही अयोध्या को देखा है। बाबरी मस्जिद गिर जाने के बाद जिस इंसाफ की उम्मीद थी वह नहीं मिला।
डीएम के पैरों में गिरी बेटी बोली- लापरवाह डॉक्टरों ने मेरे पिता को मार डाला, योगी जी न्याय दो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर मुनव्वर राना ने मांग की है कि अयोध्या में दी गई जमीन पर राजा दशरथ के नाम से अस्पताल बनाया जाए, जबकि शिया और सुन्नी बोर्ड जैसी संस्थाओं को खत्म किया जाए। यह संस्थाएं मुसलमानों की रहनुमाई नहीं करतीं। ऐसे में देवबंद या दूसरे मुस्लिम मदारीस को साथ लेकर मस्जिद की बात की जाए। मुनव्वर राना ने ‘आजतक’ से बातचीत में कहा कि बाबरी मस्जिद को रायबरेली में बनाया जाए।
मोहसिन रजा का मुनव्वर राणा से सवाल- उस वक़्त कहां थे…..
मुनव्वर राना पर योगी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने कहा है कि वह उस वक्त कहां थे जब सुप्रीम कोर्ट ने आपसी बातचीत से अयोध्या विवाद में हल लेकर आने को कहा था। मुनव्वर राणा तब कहां थे जब सरकार ने दोनों पक्षों को बातचीत से मसले का हल निकालने को कहा था। ये वही लोग हैं जो अंत तक यह कहते रहे कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला चाहे जो होगा, हम मानेंगे। अब जब राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत हो गई है तो फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। प्रधानमंत्री को चिट्टियां लिख रहे हैं।
मोहसिन रजा ने कहा कि ये वही लोग हैं जब 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ रहे थे तो अपने अवार्ड वापस लौटा रहे थे। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के शासन के दौरान यह लोग राजनीतिक मुशायरे किया करते थे। राजनीतिक पार्टियों से पैसे लेकर उनके पक्ष में माहौल बनाते हैं। इन्हें बोलने का कोई हक नहीं है।