उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया कि वह प्रदेश के युवाओं का कौशल विकास सुनिश्चित करते हुए उन्हें रोजगार के लिए उपयुक्त बनाना चाहती है, ताकि उनकी रोजगार प्राप्त करने की सम्भावनाएं बढ़ सकें।
व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा विभाग में सचिव आलोक कुमार ने गुरूवार को यहां ‘वर्ल्ड स्किल डे’ के अवसर पर स्टेट स्टीयरिंग कमेटी फॉर अप्रेण्टिसशिप की बैठक में कहा कि विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी सेक्टरों में कुशल कामगारों की बड़ी मांग है। इसे पूरा करने में कौशल विकास महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
उन्होने कहा कि अधिक से अधिक विद्यार्थी अप्रेण्टिसशिप योजना का फ़ायदा उठाएं, उसके लिए जिले के स्तर पर आईटीआई के प्रधानाचार्य और उद्योग और वाणिज्य (जीएमडीआईसी) को विद्यार्थियों के लिए ज्यादा से ज्यादा अप्रेण्टिसशिप के मौके बनाने होंगे। संस्थानों में आत्मविश्वास जगाना होगा और दोनों के बीच सहयोग स्थापित करना भी बहुत आवश्यक है। इससे विद्यार्थियों को अप्रेण्टिसशिप करने में आसानी होगी।
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बैठक में ‘डुअल सिस्टम ट्रेनिंग एण्ड ऑन द जॉब ट्रेनिंग’ के जरिये व्यावसायिक शिक्षा योजनाओं के तहत अभ्यर्थियों का कौशल विकास करते हुए उनकी रोजगार की सम्भावनाओं को बढ़ाने पर विचार किया गया। बैठक में कौशल विकास, इसके उद्देश्यों, क्रियान्वयन, अन्तर्विभागीय सहयोग के बिन्दुओं तथा स्टेकहोल्डर्स के सम्बन्ध में चर्चा की गई।
इस मौके पर निदेशक, प्रशिक्षण एवं सेवायोजन, उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन कुणाल सिल्कू ने कहा कि युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना बहुत आवश्यक है। अप्रेण्टिसशिप के दो फायदे हैं कि यह कुशल युवाओं के लिए नौकरी के अवसर प्रदान करती है और औद्योगिक संस्थानों में उन्हें काम करने का मौका देती है।
श्री सिल्कू ने कहा कि अप्रेण्टिसशिप में पिछले एक वर्ष में काफी सारे बदलाव आए हैं। अप्रेण्टिसशिप को सहभागिता के आधार पर चलाना होगा। राज्य में अप्रेण्टिसशिप करने वाले अभ्यर्थी को सरकार की ओर से 1,000 रुपए से अधिक की धनराशि प्राप्त होगी।