आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 16 जुलाई मंगलवार को मनाई जाएगी। इस एकादशी को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) , पद्मनाभा एकादशी और हरिशयनी एकादशी कहते हैं। ज्योतिषाचार्य रवि शर्मा ने बताया कि आषाढ़ी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि योगनिद्रा में चले जाते हैं और फिर कार्तिक माह में देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं।
इस दौरान चार माह चातुर्मास चलता है, जिसमें कोई भी शुभ-मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। बल्कि ज्यादा से ज्यादा समय भगवान की पूजा-उपासना की जाती है। इन चार माह के दौरान सृष्टि का संचालन भगवान शिव संभालते हैं।
व्रत एकादशी (Devshayani Ekadashi) 17 जुलाई को
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ी एकादशी या देवशयनी एकादशी तिथि की शुरुआत 16 जुलाई, 2024 दिन मंगलवार की रात 08 बजकर 33 मिनट से होगी और 17 जुलाई, 2024 दिन बुधवार को रात 09 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी।
उदयातिथि के आधार पर इस साल देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) का व्रत 17 जुलाई को रखा जाएगा। इस दिन एकादशी व्रत रखने के साथ-साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. ऐसा करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) के दिन ना करें ये गलतियां
देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) का दिन सनातन धर्म में बेहद पवित्र माना गया है। इसी दिन से जैन धर्मावलंबियों का चातुर्मास या चौमासा भी शुरू होता है, यानी कि इन चार महीनों में संत भी यात्रा नहीं करते हैं। बल्कि एक ही स्थान पर रहकर भगवान की भक्ति करते हैं।
देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) के नियम
– देवशयनी एकादशी के दिन चावल या चावल से बनी चीजों का सेवन ना करें।
– देवशयनी एकादशी के दिन महिलाओं को पूर्ण स्नान नहीं करना चाहिए।
– इस दिन नाखून या बाल काटने नहीं चाहिए।
– परिवार में यदि किसी ने भी देवशयनी एकादशी का व्रत रखा है और इस दिन घर में भगवान विष्णु-माता लक्ष्मी जी की पूजा है तो घर में ना तो तामसिक भोजन बनाएं और ना ही घर में लाएं।
– देवशयनी एकादशी के लाल या पीले रंग के कपड़े पहनें।