नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने शनिवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी चाहते थे कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बने और ‘रामलला’ वहां विराजें। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट के जरिए यह बात कही है। यह बात दिग्विजय सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन से ठीक पहले कही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने लिखा है कि हमारी आस्था के केंद्र भगवान राम ही हैं! और आज समूचा देश भी राम भरोसे ही चल रहा है। इसीलिए हम सबकी आकांक्षा है कि जल्द से जल्द एक भव्य मंदिर अयोध्या राम जन्म भूमि पर बने और राम लला वहां विराजें। स्व. राजीव गांधी जी भी यही चाहते थे।
हमारी आस्था के केंद्र भगवान राम ही हैं! और आज समूचा देश भी राम भरोसे ही चल रहा है। इसीलिए हम सबकी आकांक्षा है कि जल्द से जल्द एक भव्य मंदिर अयोध्या राम जन्म भूमि पर बने और राम लला वहां विराजें। स्व. राजीव गांधी जी भी यही चाहते थे।
— digvijaya singh (@digvijaya_28) August 1, 2020
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने सिलसिलेवार ट्वीट में लिखा है, ‘रही बात मुहुर्त की, तो इस देश में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा हिंदू ऐसे होंगे, जो मुहूर्त, ग्रह दशा, ज्योतिष, चौघड़िया आदि धार्मिक विज्ञान को मानते हैं। मैं तटस्थ हूं इस बात पर कि 5 अगस्त को शिलान्यास का कोई मुहुर्त नहीं है। ये सीधे-सीधे धार्मिक भावनाओं और मान्यताओं से खिलवाड़ है।’
अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन की तिथि 5 अगस्त को तय की गई है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन करेंगे। हालांकि मुहूर्त को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया है। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने इसे ‘अशुभ घड़ी’ करार दिया है। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि हमें कोई पद नहीं चाहिए और न ही हम राम मंदिर के ट्रस्टी बनना चाहते हैं। हम केवल यह चाहते हैं कि मंदिर का निर्माण ठीक ढंग से हो और आधारशिला सही समय पर रखी जाए। अभी जो तिथि तय की गई है वह ‘अशुभ घड़ी’ है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए तय मुहूर्त को लेकर आचार्य प्रमोद कृष्णन के एक ट्वीट को रीट्वीट किया था। ट्वीट में लिखा है, ‘मैं ज्योतिषाचार्य नहीं हूं पर इतना अवश्य जानता हूं कि श्री हरि विष्णु शयन काल में मंदिर निमार्ण का मुहूर्त कोई विद्वान ब्राह्मण नहीं निकाल सकता, भगवान श्री राम हमारी आस्था के आधार हैं, इसलिए प्रत्येक कार्य विधि विधान से ‘शास्त्र’ सम्मत होना चाहिए ‘राजनैतिक’ दृष्टिकोण से नहीं।’