शरीर के विकास और मेटाबॉलिज्म में आयोडीन की अहम भूमिका है. थायराइड हार्मोन्स बनाने के लिए आयोडीन बहुत जरूरी है. जीवन के हर स्तर के आधार पर आयोडीन की जरूरत अलग-अलग होती है. अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, वयस्कों को हर दिन 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत होती है. प्रेग्नेंसी में हर दिन 220 माइक्रोग्राम जबकि ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को रोजाना 290 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है.
आयोडीन की कमी
हालांकि, आयोडीनयुक्त नमक की वजह से अब आयोडीन की कमी के मामले पहले की तुलना में बहुत कम आते हैं लेकिन फिर भी कई लोग इसकी कमी का शिकार हो जाते हैं. अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की लगभग 30 फीसदी आबादी में आयोडीन की कमी का खतरा है. ये संकेत बताते हैं कि आप में आयोडीन की कमी हो सकती है और इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
गर्दन पर बड़ी गांठ- थायरॉयड ग्रंथि गण्डमाला (Goiter) का बढ़ जाना आयोडीन की कमी का सबसे पहला और स्पष्ट लक्षण है. गण्डमाला को कई लोग घेंघा भी कहते हैं. वार्ड कहती हैं, ‘ज्यादातर प्रोसेस्ड कमर्शियल फूड में इस्तेमाल नमक में आयोडीन नहीं होता है. जो लोग प्रोसेस्ड फूड पर निर्भर रहते हैं उनके शरीर में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन नहीं होता है.’
लेटते समय दम घुटना- गण्डमाला की वजह से सांस लेने और निगलने में कठिनाई महसूस हो सकती है. अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन के अनुसार, लेटने पर आपको ऐसा महसूस हो सकता है जैसे कि आपका दम घुट रहा हो.
थकान महसूस करना- टेक्सास वूमेंस यूनिवर्सिटी में न्यूट्रिशन एंड फूड साइस की प्रोफेसर डॉक्टर नैन्सी डिमार्को ने ‘द हेल्दी वेबसाइट’ को बताया, ‘आयोडीन, एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो बॉडी के हर टिश्यू में पाया जाता है. थायरोक्सिन और ट्राईआयोडायरोनिन जैसे थायराइड हार्मोन के उत्पादन में आयोडीन की अहम भूमिका है.’ हाइपोथायरायडिज्म में थायरॉयड असामान्य रूप से निष्क्रिय हो जाता है और इस हार्मोन की कमी से बॉडी सही तरीके से काम नहीं कर पाती है. इसकी कमी से हर वक्त थकान, कब्ज और वजन बढ़ने जैसी दिक्कत हो सकती है.
रूखी स्किन और बालों का गिरना- आयोडीन की कमी से स्किन रूखी होने लगती है, बाल गिरने लगते हैं और कुछ लोगों को मांसपेशियों में दर्द भी हो सकता है. डिमार्को का कहना है, ‘पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हाइपोथायरायडिज्म का आठ गुना ज्यादा खतरा होता है. वैसे तो ये महिलाओं में किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन मेनोपॉज के बाद इसकी संभावना ज्यादा बढ़ जाती है.’
काम में दिक्कत महसूस होना- ‘एक्सेप्ट द बेस्ट बुक’ की प्रसिद्ध लेखिका एलिजाबेथ वार्ड कहती हैं, ‘वयस्कों में, आयोडीन की कमी का असर मानसिक तौर पर पड़ सकता है और इसकी वजह से कार्य क्षमता प्रभावित हो सकती है.’ वार्ड कहती हैं ये लक्षण हाइपोथायरायडिज्म को हो सकते हैं. प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को आयोडीन से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने चाहिए.
प्रेग्नेंसी के समय दिक्कत- प्रेग्नेंसी के समय शरीर को थायरॉयड हार्मोन की जरूरत होती है और इसके लिए पर्याप्त मात्रा में आयोडीन की आवश्यकता होती है. वार्ड कहती हैं, ‘ये थायरॉयड हार्मोन मायलिन बनाते हैं जिनसे तंत्रिका कोशिकाओं की रक्षा होती है. गंभीर आयोडीन की कमी होने पर गर्भपात का भी खतरा हो सकता है.’
बच्चे पर असर- डिमार्को कहती हैं, ‘आयोडीन की कमी का होने वाले बच्चे के विकास पर बहुत असर पड़ता है. उसमें कई तरह की न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें आ सकती हैं. इसके अलावा आयोडीन की कमी से होने वाले बच्चे के ब्रेन डैमेज का भी खतरा होता है.
आयोडीन की कमी का टेस्ट- अगर आप अपने आयोडीन के स्तर के बारे में जानना चाहते हैं तो आप इसका टेस्ट भी करा सकते हैं. इसके लिए डॉक्टर आपको यूरीन टेस्ट कराने की सलाह देंगे क्योंकि आयोडीन यूरीन के माध्यम से शरीर से बाहर निकलता है. इसका टेस्ट कराने से पता चल जाएगा कि आपमें यूरीन की कमी है या नहीं.
आयोडीन वाले फूड- आयोडीन वाले नमक के अलावा खाने-पीने की कुछ चीजें आयोडीन बढ़ाने का काम करती हैं. जैसे कि मछली, दूध, चीज़, अंडा, रोस्टेड आलू, मुनक्का, दही और ब्राउन राइस.