हिन्दू धर्म में वास्तु शास्त्र केवल ईंटों, पत्थरों और दीवारों से संबंधित नहीं है। यह नई ऊर्जा को समझने और उसका संतुलन बनाए रखने का गहन विज्ञान है। यह हमारे पूर्वजों की अमूल्य धरोहर है। हर कोण कुछ कह रहा है, बस उसे समझने की जरूरत है। जब हम इस ऊर्जा को कार्यस्थल पर लगाते हैं, तो इससे शांति और सकारात्मकता की भावना पैदा होती है। हम हमेशा कहते हैं कि भाग्य हमारे पक्ष में नहीं है। यह समस्या इसी तरह जारी है।
वास्तु शास्त्र कहता है कि थोड़ी सी जागरूकता और छोटे-छोटे बदलावों से हम इन समस्याओं पर काबू पा सकते हैं। ऐसे में मंदिरों (Puja Ghar) से जुड़े कुछ वास्तु नियमों को ध्यान में रखना जरूरी है। घर के मंदिर में रखी वस्तु को तुरंत बाहर निकाल देना चाहिए। क्योंकि वह वस्तु घर में नकारात्मक ऊर्जा पैदा करती है।
कुछ लोग पूजा के दौरान धूपबत्ती, अगरबत्ती और दीपक जलाते हैं। माचिस का उपयोग दीपक जलाने के लिए किया जाता है। इसलिए मंदिरों में माचिस रखी जाती है। वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार घर के मंदिर में माचिस रखना शुभ नहीं होता है। इसलिए यह घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने के बजाय नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद कर रहा है। यदि आप शास्त्रों की शिक्षाओं का पालन करेंगे तो आपके घर में सुख और शांति बनी रहेगी।
ऊर्जा का बना रहेगा संतुलन
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर (Puja Ghar) में माचिस रखना उचित नहीं है। इसीलिए यह प्रकाशित होता है। यह भी जलकर राख हो जाता है। इसीलिए इसे शक्ति और विनाश दोनों का प्रतीक माना जाता है। जब पूजा घर में माचिस जैसी कोई वस्तु रखी जाती है तो इससे वहां की ऊर्जा में असंतुलन पैदा होता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
कलह और अशांति
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर (Puja Ghar) में माचिस रखने से अशांति और पारिवारिक कलह की संभावना बढ़ जाती है। पूजा स्थल में माचिस रखना भी आवश्यक है। माचिस को नीचे न रखें, बल्कि उसे साफ और पवित्र कपड़े में लपेट कर रखें। इसलिए वहां की सकारात्मक ऊर्जा प्रभावित नहीं होनी चाहिए। इसीलिए माचिस को हमेशा पूजा घर से दूर रखना चाहिए।