हिंदू धर्म में पितृपक्ष (Pitru Paksha) को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। पितृपक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण किया जाता है जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। पितृपक्ष के दौरान पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए पंचबलि किया जाता है। साल 2025 में पितृ पक्ष (Pitru Paksha) 7 सितंबर से 21 सितंबर तक रहेगा। इस अवधि में लोग अपने पूर्वजों का स्मरण कर तर्पण, पिंडदान और पंचबलि विधि से पितरों को प्रसन्न करते हैं।
श्राद्ध पक्ष में पंचबलि कर्म को करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में चल रही सभी बाधाएं दूर होती हैं। पंचबलि को सबसे अंत में किया जाता है। पंचबलि का अर्थ है पांच स्थानों पर भोजन रखना।
पंचबलि क्या है?
पंचबलि का अर्थ है पांच प्रकार के जीवों और तत्वों को अन्न अर्पित करना। यह परंपरा हमारे ऋषियों-मुनियों द्वारा इसलिए बनाई गई थी ताकि सभी जीव-जंतुओं और अदृश्य शक्तियों का संतुलन बना रहे और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त हो। पंचबली के जरिए हम अपने पितरों का पोषण करते हैं और उन्हें तृप्त करते हैं।
पंचबलि की विधि
गौ बलि
सबसे पहले गाय के लिए पंचबलि का भोजन निकाला जाता है और गाय को ‘गौभ्यो नम:’ कहकर प्रणाम करें और उन्हें भोजन अर्पित करें।
श्वान बलि
इसके बाद पत्ते पर भोजन रखकर कुत्ते को कराया जाता है। कुत्ते को भोजन करना से यमराज प्रसन्न होते हैं। कुत्ते को कालभैरव की सवारी कहा जाता है। इस कर्म को करने से आप जीवन में एकाएक आने वाले संकटों से बच सकते हैं।
काक बलि
इसके बाद भोजन कौओं को कराया जाता है। कौवों के लिए छत पर भोजन रखा जाता है और उनसे निवेदन किया जाता है इस भोजन को ग्रहण करें। मान्यता है अगर कौआ भोजन ग्रहण कर लेता है तो इसका अर्थ है आपके पितृ आपसे खुश हुए और वह तृप्त हैं।
देवादि बलि
सबसे पहले ताजा भोजन बनाकर उसका एक भाग देवताओं को समर्पित करें। यह भोजन देवताओं और पितरों के लिए होता है। इसे उठाकर घर के बाहर सही स्थान पर रखना चाहिए।
पिपलिकादि बलि
आखिर में पक्षियों, अन्य जीवों को खिलाएं। साथ ही इस भोजन को पीपल वृक्ष के नीचे रख दें। पक्षियों को जल अर्पित करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। हर कार्य आसानी से होने लगते हैं।