महाशिवरात्रि (Mahashivratri) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव विधि-विधान से पूजा की जाती है और बड़े ही धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भक्ति-भाव से पूजा करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह एक ऐसा पर्व है जब भक्त भगवान शिव की आराधना करते हैं और उनकी कृपा पाने की कामना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से मन शांत होता है और यह पर्व आध्यात्मिक विकास में मदद करता है। इस पर्व को मनाने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि (Mahashivratri) की तिथि 26 फरवरी दिन बुधवार को 11 बजकर 08 मिनट पर होगी और अगले दिन 27 फरवरी दिन गुरुवार को 08 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर निशिता काल में पूजा का विशेष महत्व होता है। साल 2025 में यह पूजा 27 फरवरी को मध्य रात्रि 12 बजकर 27 मिनट से रात 1 बजकर 16 मिनट तक की जाएगी।
पूजा का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर रात्रि के प्रथम प्रहर की पूजा का समय शाम 6 बजकर 43 मिनट से रात 9 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। महाशिवरात्रि के रात्रि द्वितीय प्रहर की पूजा रात 9 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 51 मिनट तक (27 फरवरी 2025) होगी। रात्रि तृतीय प्रहर की पूजा 27 फरवरी 2025 को रात 12 बजकर 51 मिनट से सुबह 3 बजकर 55 मिनट तक होगी। महाशिवरात्रि के रात्रि चतुर्थ प्रहर की पूजा 27 फरवरी 2025 को सुबह 3 बजकर 55 मिनट से 6 बजकर 59 मिनट तक होगी। पारण का समय 27 फरवरी 2025 को सुबह 6 बजकर 59 मिनट से 8 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।
इन बातों का रखें ध्यान
अगर घर का पूजा स्थल या मंदिर गंदा रहता है, तो आपके द्वारा की गई पूजा सफल नहीं मानी जाती है। क्योंकि पूजा घर बहुत की पवित्र स्थल माना जाता है इसलिए भी इस स्थान की साफ-सफाई करना जरूरी होता है। ऐसा माना जाता है कि अगर आपके घर का मंदिर गंदा हो तो वहां कभी ईश्वर का वास नहीं होता। इसके साथ ही आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी होने लगता है। लेकिन, सफाई के दौरान कुछ विशेष नियम-कायदे होते हैं जिनका पालन करना आवश्यक माना जाता है।
रात के समय न करें सफाई
ऐसी मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद न सिर्फ मंदिर की बल्कि घर के किसी भी स्थान की साफ-सफाई नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से घर में आने वाली लक्ष्मी रुक जाती है जिससे आपको आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। ऐसा भी माना जाता है कि अगर आप रात में मंदिर की सफाई करते हैं तो देवी-देवता नाराज हो जाते हैं और जीवन में दुख आने शुरू हो जाते हैं।
मंदिर खाली करने के बाद करें सफाई
जब भी आप मंदिर की सफाई करते हैं तो कोशिश करें कि उसमें रखी मूर्तियों और तस्वीरों को पहले हटा दें, फिर ही सफाई करें। जब आप मंदिर की सफाई कर लें, उसके बाद मूर्ती स्थापित करने से पहले उनकी भी साफ करें। मान्यता है कि यदि आपका पूजा स्थल साफ रहता है तो इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी का प्रवाह होता है और जीवन में उन्नति होती है।
मंदिर के बरतन भी रखें साफ
पूजा के वक्त आप जिन भी बरतनों का उपयोग करते हैं उनको भी हमेशा साफ रखना चाहिए। आप जिस दिये में दीपक जलाते हैं वह आमतौर पर गंदा रहता है, कोशिश करें कि दीपक जलाने से पहले उसे जरूर साफ करें। मान्यता है पूजा में तांबे के बरतनो का इस्तेमाल करना शुभ होता है।
भगवान के कपड़े भी करें साफ
मंदिर में रखी मूर्तियों पर जो कपड़े चढ़े होते हैं उनकी भी सफाई करना जरूरी माना जाता है। कोशिश करें कि मूर्तियों और तस्वीरों की साफ-सफाई के बाद, उन्हें मंदिर में स्थापित करने से पहले ही नए या फिर धुले वस्त्र पहनाएं। इन कामों के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है और पूजा का पूरा फल प्राप्त नहीं होता है। इसके अलावा जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।