हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami) का व्रत बहुत पावन माना गया है। ये व्रत माता शीतला को समर्पित किया गया है। शीतला अष्टमी व्रत को बसौड़ा या बसियौरा के नाम से भी जाना जाता है। शीतला अष्टमी का व्रत हर साल चैत्र महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। शीतला अष्टमी के दिन विधि-विधान से माता शीतला का पूजन और व्रत किया जाता है। इस व्रत और पूजन करने से माता सभी मनोरथ पूर्ण करती हैं। इस दिन माता को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी शीतला अष्टमी का व्रत करता है, उसका जीवन खुशियों से भर जाता है। धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती। जीवन के सब दुख दूर हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि ब्रह्म जी ने माता शीतला को समस्त सृष्टि को रोगमुक्त और सेहतमंद रखने का कार्यभार सौंपा है। इसलिए जो भी सच्चे मन से इस दिन माता शीतला का पूजन और व्रत करता है, उसे बिमारियों से मुक्ति मिलती है। यही नहीं इस दिन शुभ मुहूर्त में माता की पूजा करने से मां की असीम कृपा होती है।
कब है शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami) व्रत
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 मार्च को सुबह 4 बजकर 23 मिनट पर हो जाएगी। वहीं इस तिथि का समापन 23 मार्च को सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदयातिथि मानी जाती है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, शीतला अष्टमी का व्रत 22 मार्च को रखा जाएगा।
पूजा शुभ मुहूर्त
22 मार्च को शीतला अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो जाएगा। ये शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। इसी शुभ मुहूर्त में भक्त माता शीतला का पूजन कर सकते हैं।
शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami) के उपाय
– शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami) के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा के समय माता को हल्दी चढ़ाएं। फिर उस हल्दी को परिवार के सदस्यों को लगाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
– माना जाता है कि माता शीतला नीम के पेड़ पर वास करती हैं। इसलिए शीतला अष्टमी के दिन नीम के पेड़ पर जल चढ़ाएं और उसकी परिक्रमा करें। ऐसा करने से संतान के जीवन के संकट और परेशानियां दूर होती हैं।