नई दिल्ली। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच एक नई और हैरान करने वाली रिसर्च सामने आई है। इस रिसर्च में बताया गया है कि कोरोना वायरस कान को भी इन्फेक्ट कर सकता है और पीछे में उपस्थित हड्डी को भी। इससे पहले यह तो जग जाहिर था कि कोरोना वायरस नाक, गले और फेफड़े को इन्फेक्ट करता है।
मेडिकल जर्नल JAMA Otolaryngology में छपी इस स्टडी में तीन ऐसे मरीजों का जिक्र किया गया है, जिनकी कोरोना वयारस संक्रमण से मौत हो गई थी। इन तीन में से एक 60 साल के और दूसरा 80 साल के थे। इन दोनों मरीजों के कान के पीछे हड्डी में कोरोना इन्फेक्शन पाया गया है। जॉन हॉपकिंस स्कूल ऑफ मेडिसिन की ने कहा है कि इस रिसर्च के बाद कोरोना वायरस के लक्षण वाले लोगों में कान भी चेक किए जाएं।
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80 साल की जो मरीज थी उसके केवल दाहिने कान के बीच में वायरस पाया गया था जबकि 60 साल वाले में शख्स के बाएं और दाए मास्टॉयड में और उसके बाएं और दाएं मध्य कान में वायरस था।
बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं जब कान में कोरोना वायरस के संक्रमण की बात सामने आई है। हालांकि कुछ रोगियों में यह यह पाया गया कि संक्रमण के बाद उनके सूनन के क्षमता खराब हो गई थी। नए अध्ययन की टीम ने सिफारिश की है कि लोगों को मध्य कान की प्रक्रियाओं से गुजरने से पहले कान में कोरोना वायरस की जांच की जाए।
कोरोना वायरस की वैक्सीन जल्द तैयार करने के लिए दिग्गज कंपनियां, प्रतिष्ठित विद्यालय और सैन्य संस्थान जोरशोर से जुटे हैं। इनमें से आठ वैक्सीन हैं, जो वायरस पर अलग-अलग तरह से वार करती हैं। ये संस्थान कमजोर या निष्क्रिय वायरस, डीएनए या आरएनए विधि के जरिए टीका बना रही हैं, लेकिन उनका उद्देश्य एक है-शरीर में कोरोना का हमला होने पर उसे नष्ट करने की क्षमता पैदा करना।