गाजियाबाद। देश की राजधानी दिल्ली से नजदीकी और आर्थिक तौर पर संपन्न होने की वजह से गाजियाबाद अवैध धंधों के तस्करों के निशाने पर है। वैसे तो यह तस्करी पहले व्यक्तिगत रूप से होती थी, पर लॉकडाउन के दौरान इस तस्करी ने हाईटेक रूप ले लिया है। पुलिस की दबिश से बचने के लिए ये तस्कर नशे की सौदेगरी के लिए फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने लगे हैं। बीते दिनों पकड़े गए तस्करों से पूछताछ के दौरान यह खुलासा हुआ। ज्यादातर तस्करों ने बताया कि वाट्सएप पर वीडियो और वॉयस कॉल के जरिए उनका धंधा परवान चढ़ रहा है। हालांकि, पुलिस ने भी नशा तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। 11 महीनों में 18 सौ से अधिक नशा तस्करों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेजा गया है।
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वर्ष 2020 सभी तरह से आम लोगों के कष्टदायी रहा। कोरोना के प्रकोप के चलते लॉकडाउन लागू हुआ तो तमाम लोगों की दिनचर्या और रोजगार प्रभावित हुआ। लेकिन, कोरोना काल में भी नशा तस्करों का गोरखधंधा बदस्तूर जारी रहा। कोरोना काल में शराब के गोदाम से तस्करी का भंडाफोड़ हुआ तो डेढ़ सौ से अधिक मामले चरस, गांजे की तस्करी के पकड़े गए। लॉकडाउन खुलते ही नशे के सौदागरों ने अपने धंधे को और रफ्तार दे दी। इसके लिए सोशल मीडिया को प्लेटफार्म बनाया गया। नशे के धंधे से जुड़े लोगों ने पुलिस को बताया कि वॉट्सएप वीडियो कॉल पर माल दिखाया जाता और फिर वॉइस कॉल पर सौदेबाजी की जाती। नशा तस्करी में शामिल रहे हैं वर्दीधारी भी
11 महीनों की बात करें तो देसी शराब से लेकर स्मैक तक पुलिस ने बरामद की। नशा तस्करी में वर्दीधारी भी शामिल रहे। बीते मई माह में कविनगर पुलिस ने शराब तस्करी में लिप्त सिपाही समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया था। मूलरूप से बागपत निवासी सिपाही रोहित बैंसला मुजफ्फरनगर पुलिस लाइन में तैनात था। इसके अलावा सिहानी गेट पुलिस ने बीते कोराना काल में ही शराब के एक गोदाम पर छापा मारकर अवैध रूप से शराब सप्लाई का भंडाफोड़ किया था। यहां भी स्थानीय पुलिसकर्मियों पर मिलीभगत के आरोप लगे थे।
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ग्राहक तलाशने को अपनाई नई तकनीक
आमतौर पर नशा तस्करों के निशाने पर युवा और स्कूल-कॉलेज के छात्र रहते हैं। लेकिन कोराना काल में स्कूल-कॉलेज बंद हुए तो छात्र अपने-अपने घरों को चले गए। ऐसी स्थिति में नशा तस्करों ने उन युवाओं को ट्रेस करना शुरू किया जो कोरोना काल के चलते अन्य स्थानों से आकर अपने घर रह रहे थे। नशे की लत से जुड़े युवाओं को तलाशने के लिए अपने एक-दो लोगों को शाम के वक्त नशा करने के लिए छोड़ देते थे।
फर्जी नंबर प्लेट का इस्तेमाल बढ़ा
पुलिस की नजर से बचने के लिए नशा तस्करों ने फर्जी नंबर प्लेट का इस्तेमाल बढ़ा दिया। इस साल डेढ़ सौ अधिक ऐसे मामले पकड़े गए, जिसमें नशा तस्करों ने वाहन पर फर्जी नंबर प्लेट लगाई हुई थी। मुखबिर वाहन और नंबर के आधार पर पुलिस को सूचना देते हैं। लिहाजा इसका तोड़ निकालने के लिए राज्य बदलते ही नशा तस्कर वाहन की नंबर प्लेट बदलने लगे।