मध्यप्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि बच्चों के अवगुणों को दूर कर, उनके सद्गुणों को निखार कर, उनका सर्वागीण विकास करना शिक्षक का काम है। सब ऐसा मिलकर करेंगे तो भारत विश्वगुरु बन जायेगा।
राज्यपाल श्रीमती पटेल आज राजभवन में आयोजित ज्योतिर्मय सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए टी.बी. मुक्त प्रदेश का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि 25 वर्ष की उम्र से कम आयु के रोगी बच्चों युवा को शिक्षक गोद लें। उनको पौष्टिक भोजन की उपलब्धता कराकर 5-6 माह, में उन्हें रोग मुक्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 पश्चात उत्तर प्रदेश में लखनऊ में 1660 और काशी में 750 ऐसे रोगियों को लोगों ने गोद लिया है।
बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम से पहले कांग्रेस को सताया विधायकों के टूटने का डर
श्रीमती पटेल ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए माता-पिता से अधिक शिक्षक की भूमिका है। प्रत्येक बच्चे के संबंध में जानकारी रखना, उसकी समस्याओं के समाधान में सहयोग करना शिक्षक की जिम्मेदारी है। शिक्षको को शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन और सुधार के लिए प्रबंधन और प्रशासकों को अवगत कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को भारतीय संस्कृति, उसकी परंपराओं के गौरव से भी परिचित कराया जाना चाहिए। शिक्षकों के ऐसे प्रयास बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। नई शिक्षा नीति भारतीय संस्कृति के मूल्यों और आधुनिक जगत की आवश्यकताओं के अनुरुप बदलाव की पहल है, जिसमें आंगनबाड़ी से लेकर उच्च शिक्षा तक सभी पर व्यापक चिंतन और विमर्श कर व्यवस्था की गई है।
उन्होंने गुजरात में भूकंप की आपदा उपरांत परीक्षा आयोजन के प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताया कि पालकों द्वारा परीक्षा निरस्त करने की मांग कर रहे थे। उन्होंने प्रभावित क्षेत्र के 100 से अधिक विद्यालयों में जाकर बच्चों से चर्चा की, तो उन्होंने एक माह का समय लेकर परीक्षा आयोजित करवाने के लिए कहा। परीक्षा के परिणाम वैसे ही रहें जैसे पूर्व में होते थे। उन्होंने कहा कि बच्चों में विपरीत परिस्थतियों का सामना करने की क्षमता होती है। आवश्यकता उनके प्रतिभा को निखारने उत्साह, अनुशासन के गुणों के समावेश की है।