नई दिल्ली| अगर आप एसी, फ्रिज, कूलर या फिर कोई अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान (Electronic products) खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो इस पर फौरन अमल कर डालें। कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक कंपनियां (consumer electronics companies) बढ़ती लागत को देखते हुए दाम बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं। आने वाले महीनों में इलेक्ट्रॉनिक सामानों (Electronic products) के दाम में 7 से 10% तक इजाफा हो सकता है। बढ़ती लागत के चलते कंपनियां दो साल में पहले ही तीन बार दाम बढ़ा चुकी हैं।
इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर मिल रहा है 70 फीसद तक का डिस्काउंट
रूस-यूक्रेन जंग (Russia-Ukraine war) के चलते ग्लोबल मार्केट (global market)में कॉपर और एल्युमिनियम के दाम हाई लेवर पर चल रहे हैं। बीते साल फरवरी में 1.61 लाख रु/टन बिक रहे एल्युमिनियम के दाम अब 2.80 लाख रु/टन पर पहुंच गए हैं। कॉपर के दाम भी सालभर में 5.93 लाख रु/टन से बढ़कर 7.72 लाख हो गए हैं।
कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड अप्लायंसेस मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट एरिक ब्रगेंजा (Eric Braganza, President of CEAMA) ने कहा कि पिछले दो वर्षों से कमोडिटी के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। 2019 की तुलना में इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronic) उत्पादों के दाम में कंपनियों ने धीरे-धीरे 15% तक की बढ़ोतरी की है। अब एक बार फिर दाम बढ़ने से लागत बढ़ गई है। कंपनियां अभी तक मार्जिन घटाकर काम चला रही थीं, लेकिन अब ऐसा करना संभव नहीं है। ऐसे में कंपनियां 5% से 7% तक कीमत बढ़ा सकती हैं।
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वहीं, गोदरेज अप्लायंसेस के बिजनेस हेड और ईवीपी कमल नंदी का कहना है कि इनपुट कास्ट और कीमतों में 10% तक का गैप आ गया है। इसलिए कंपनियां इस अंतर को भरने का प्रयास करेंगी और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronic) के दामों में 10% तक बढ़ोतरी होना लाजिमी है।
तीसरी लहर की दहशत में कई कंपनियों ने जनवरी तक उत्पादन नहीं बढ़ाया। डिमांड की तुलना में सप्लाई घटने से भी दाम बढ़ सकते हैं।क्रूड के दाम बढ़ गए हैं, इसकी वजह से शिपिंग चार्ज तो बढ़ेगा ही, इसके अलावा कच्चे तेल पर सीधे निर्भर प्लास्टिक और पेंट के दाम भी बढ़ जाएंगे।
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कोरोना के चलते दुनियाभर में महंगाई बढ़ी है। रूस और यूक्रेन के युद्ध की वजह से भी एल्युमिनियम, कॉपर, स्टील के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रहे हैं।
होम अप्लायंसेस, ओरिएंट इलेक्ट्रॉनिक के हेड सलिल कपूर के मुताबिक प्लास्टिक, कॉपर, एल्युमिनियम जैसी कमोडिटी के दाम काफी हाई हैं। क्रूड के दाम बढ़ने से शिपिंग कॉस्ट भी बढ़ेगी। तीसरी लहर के डर से पर्याप्त प्रोडक्शन नहीं होने से सप्लाई की दिक्कत भी होगी। इसके चलते दाम में 5 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है।