भारत के केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री डॉ.हर्षवर्धन ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि भारत के सभी नागरिकों को कोविड —19 का टीका मुफ्त लगाया जाएगा लेकिन जिस तरह उन्होंने चरणबद्धता की बात की है, उसे लेकर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरना आरंभ कर दिया है। विपक्षी दल सरकार से पूछ रहे हैं कि वह टीकाकरण को लेकर अपनी कार्ययोजना बताए। कोरोना के चलते लोगों को लंबे समय तक लॉकडाउन में रहना पड़ा। इस नाते उनकी अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई। लोग परेशान थे कि कोरोना का टीका न जाने कितना महंगा होगा। घर के हर सदस्य को टीका लगवाना सबके लिए मुमकिन भी नहीं था। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की इस घोषणा से लोगों को बहुत राहत मिली है।
कोरोना का टीका कब से लगेगा, यह तो तय नहीं हुआ है लेकिन जिस तरीके से भारत के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में कोविड—19 के टीकाकरण का पूर्वाभ्यास हो रहा है। इसके लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है। वैक्सीन को एक निर्धारित तापमान में रखने के लिए देश भर में कोल्ड चेन की व्यवस्था की गई है। एक भी कोरोना वैक्सीन खराब न हो, इसका ध्यान दिया जा रहा है तो इससे पता चलता है कि केंद्र सरकार इस भयानक बीमारी से निपटने को लेकर कितनी गंभीर है? देश में लॉकडाउन लगाने से लेकर लोगों को जागरूक करने तक के उपक्रम में सरकार के नुमाइंदों और यहां तक कि भाजपा के हर कार्यकर्ता को मैदान में उतार दिया गया है।
सड़क सुरक्षा के तहत वितरित किए गए हेल्मेट, यातायात नियमों की दी जानकारी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि इस समय देश में कुल एक करोड़ तीन लाख पांच हजार से अधिक कोरोना संक्रमित हैं। गनीमत यह है कि इस बीच देश में 22,926 मरीज स्वस्थ भी हुए हैं और इसी के साथ स्वस्थ होने वालों की तादाद 99.06 लाख तथा रिकवरी दर बढ़कर 96.12 प्रतिशत हो गई है। देश में सक्रिय मामले घटकर बस ढाई लाख ही रह गए हैं। इनकी दर भी घटकर 2.43 प्रतिशत हो गई है। यह एक स्वस्थ संकेत है लेकिन इस पर बहुत उत्साहित होने की नहीं, बल्कि संक्रमण को समाप्त करने को लेकर बेहद गंभीर होने की जरूरत है। इसमें शक नहीं कि भारत का निर्यात पिछले तीन माह में काफी घटा है और उसकी अर्थव्यवस्था में भी काफी गिरावट आई है। इसके बाद भी सरकार अगर कोरोना का टीका सबको मुफ्त लगाने की बात कर रही है और वह भी तब जब अपने देश के लोगों की सुरक्षा के लिहाज से वह रूस और अमेरिका से वैक्सीन खरीद रही है,तो यह केंद्र सरकार की संवेदनशीलता, लोकदायित्वों के प्रति उसका समर्पण और सदाशयता नहीं तो और क्या है??
सरकार को लगता है कि देश स्वस्थ रहेगा तो अर्थव्यवस्था अपने आप ठीक हो जाएगी। नीतिकारों ने तो यहां तक कहा है कि स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है। सरकार इस धन को अगर बचा रही है तो इसे सबसे बड़ी नेमत माना जाना चाहिए। विपक्ष सरकार की इस भावना करने की बजाय उस पर निशाना साधने को ही अपना धर्म समझ रहा है। उसे सोचना होगा कि सरकार किसी को कोरोना से डरा नहीं रही बल्कि जन—जन को संक्रमण से बचने के प्रति सचेत कर रही है। इस देश में पहले भी ढेर सो टीकाकरण अभियान चल चुके हैं। शुरुआती दौर में उसे लेकर तमाम भ्रांतियां भी फैलाई गईं लेकिन जनता ने देर सबेर उसे अपनाया। इसका लाभ हमारे सामने हैं। देश चेचक, पोलियो जैसी बीमारियों के प्रभाव से लगभग मुक्त हो चुका है। कोविड—19 से निपटने के लिए दुनिया भर में टीकाकरण की तैयारियां तेज हो गई हैं। कई देशों में तो टीकाकरण अभियान का आगाज भी हो चुका है। वैक्सीन के फॉर्मूले चुराने से लेकर उसकी कालाबाजारी करने की मंशा पाले लोग भी सक्रिय हो गए हैं।
अपहरण की फर्जी रिपोर्ट दर्ज करने के आरोप में महिला गिरफ्तार
पहले चरण में एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मी और दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोविड—19 का टीका लगाया जाना है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ड्राई रन शुरू करना एक बड़ा अभियान है। इससे पहले देश के चार राज्यों के दो-दो जिलों में वैक्सीनेशन टीकाकरण की तैयारियों का जायजा लेने के लिए पूर्वाभ्यास किया गया था। पूर्वाभ्यास के दौरान यह सुनिश्चित करने की कोशिश की गई कि टीकाकरण के लिए लोगों का ऑनलाइन पंजीकरण, डाटा एंट्री,लोगों के मोबाइल पर मैसेज भेजने और टीका लगने के बाद इलेक्ट्रॉनिक प्रमाण पत्र जारी करने में कोई परेशानी तो नहीं आ रही है। इतना सब जानने के बाद भी अगर हम भारतवासी कोरोना को सामान्य बीमारी मानने की भूल करें, यहां के नेता केंद्र सरकार पर अपनी कमियों को छिपाने का बहाना बनाने के आरोप लगाएं तो इससे अधिक विडंबना और क्या हो सकती है? यह समय आरोप और संशय से परे जाकर कोरोना से लड़ने का है। यह समय देश के चिकित्सकों की सलाह मानने और खुद को सुरक्षित रखने का है, अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का है। बेहतर होता कि इस देश का हर इंसान जाति—धर्म से ऊपर उठकर खुद को कोरोना से मकड़जाल से बचाने का प्रयास करता। खुद टीके लगवाता और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करता।