बड़वानी/खरगोन। मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के एक बांध में किसान की डूबकर (Drowning) मृत्यु के मामले में आत्महत्या संबंधी आरोप के बाद पुलिस ने कहा कि इस घटना में आत्महत्या जैसी कोई बात प्रतीत नहीं होती है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार चाचरिया पुलिस चौकी के अधीन अन्यापानी गांव के एक किसान भीम सिंह के परिजनों ने मंगलवार और बुधवार की दरम्यानी रात्रि आकर सूचना दी थी कि भीम सिंह घर से नहाने का कहकर गया था और अब तक लौटा नहीं है। अगले दिन परिजनों ने उसका शव खारक बांध में देखा और उसे वहां से निकाल भी लिया। सूचना मिलने पर पुलिस सक्रिय हुई और उसका पोस्टमार्टम कराया। पुलिस ने कहा कि प्रारंभिक जांच में उसके द्वारा आत्महत्या करने की घटना प्रतीत नहीं होती है। अभी तक कोई सुसाइट नोट भी नहीं मिला है। हालाकि उसकी मृत्यु पानी में डूबने (Drowning) से हुयी है।
इस बीच खरगोन जिला कलेक्टर कार्यालय के समक्ष पुनर्वास तथा मुआवजा राशि संबंधी मांगों के लिए तीन दिन से धरना दे रहे जागृत आदिवासी दलित संगठन की ओर से आज जारी विज्ञप्ति में आरोप लगाया है कि डूब प्रभावित किसान भीम सिंह ने मुआवजा और पुनर्वास राशि नहीं मिलने के कारण खारक बांध में डूबकर आत्महत्या की है। संगठन का कहना है कि भीम सिंह उन 128 परिवारों में से है, जिनका संज्ञान कोर्ट और प्रशासन द्वारा अभी तक नहीं लिया गया। संगठन ने चेतावनी दी कि मुआवजा नहीं मिलने तक आंदोलन किया जाएगा।
मृत आदिवासी किसान भीम सिंह के पुत्र रेम सिंह ने मीडिया के समक्ष आरोप लगाया है कि उसके पिता ने मुआवजा राशि नहीं मिलने से परेशान होकर बांध में डूबकर आत्महत्या की है। रेम सिंह भी आंदोलन में शामिल है। उसने बताया कि 13 एकड़ जमीन डूब में आई है और इसके बदले आंशिक मुआवजा मिला है, जिससे 5 एकड़ जमीन खरीदी गई है।
पुलिस का कहना है कि प्रारंभिक जांच में आत्महत्या जैसी कोई बात सामने नहीं आई है। उन्होंने बताया कि भीम सिंह के छह पुत्र और पांच पुत्रियों की शादी हो चुकी है। भीम सिंह के तीन पुत्र प्रेम सिंह, शांतिलाल और मंसाराम खरगोन जिले के मोहना में रहते हैं, जबकि तीन अन्य पुत्र भाव सिंह, अताराम और प्रेम सिंह अन्यापानी में निवास करते हैं। पुलिस का कहना है कि भीम सिंह नहाने के लिए खारक बांध में ही जाता था।
खरगोन के जिला कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर डूब प्रभावितों की समस्या के निराकरण के लिए शिकायत निवारण प्राधिकरण बना है। वहां उनकी सुनवाई के बाद जो भी तय होगा, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर कोई भी कार्यवाही पेंडिंग नहीं है। जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार डूब प्रभावितों की समस्याओं का निराकरण करने के लिए गठित शिकायत निवारण प्राधिकरण खंडपीठ 30 सितंबर को जिला मुख्यालय पर पहुंच कर शिकायतों का निराकरण करेगी।