उत्तर प्रदेश में बदायूं जिले की एक अदालत ने 29 साल पुराने गैर इरादतन हत्या के एक मामले में पूर्व जिला आबकारी अधिकारी को पांच साल की कैद और 40 हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनायी है।
29 साल पूर्व अपने नौकर ण् की मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगाकर हत्या के मामले में नामजद पूर्व जिला आबकारी अधिकारी को अपर सत्र न्यायाधीश (10) डॉ मोहम्मद इलियास ने दोषी ठहराते हुए पांच साल के कठोर कारावास सजा सुनाई की 40 हजार जुर्माना भी डाला है जिसमे से मृतक की पत्नी को बतौर क्षतिपूर्ति 20 हजार रुपये देने का आदेश कोर्ट दिया है।
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता सुधीर कुमार मिश्रा ने बताया कि थाना अलापुर के ककराला निवासी मुन्नी ने 21 अप्रैल 1993 को धाना सिविल लाइंस में रिपोर्ट तहरीर दी थी। इसके मुताबिक मुन्नी के पति शहजादे तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी एसपी रातरा निवासी सेकंड बी 119 नेहरू नगर गाजियाबाद (उस वक्त रामनाथ कॉलोनी थाना सिविल लाइंस बदायूँ निवासी) के घर खाना बनाने का काम करते थे।
16 अप्रैल 1993 को रात लगभग साढ़े नौ बजे एसपी रातरा ने शहजादे से प्रेस के कपड़े लाने को कहा। शहजादे कपड़े लेने गए तो रात अधिक होने की वजह से दुकान बंद हो गई। इससे आबकारी अधिकारी एसपी रातरा के कपड़े नहीं मिल पाए। शहजादे ने वापस लौट कर उनको यह जानकारी दी तो एसपी रातरा अत्यधिक नाराज हो गए और उन्होंने शहजादे के उपर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी। उपचार के दौरान 20 अप्रैल 1993 को बरेली में शहजादे की मृत्यु हो गई थी।
पुलिस ने 25 अप्रैल 1993 को आरोपी जिला आबकारी अधिकारी एसपी रातरा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की। पुलिस ने विवेचना के बाद जिला आबकारी अधिकारी एसपी रातरा के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। अभियोजन की ओर से एडीजीसी सुधीर कुमार मिश्रा और बचाव पक्ष के अधिवक्ता की बहस को सुन एस पी रातरा को कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या के जुर्म में आरोपी करार दिया। कोर्ट ने एसपी रातरा को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ हो 40 हजार रुपये का जुर्माना भी डाला है।