भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का पर्व मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल गणेश चतुर्थी का पर्व 31 अगस्त को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा. यह उत्सव 10 दिनों का होता है और इन दिनों तक घरों और पंडालों में भगवान श्री गणेश की मूर्ति रखकर विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. इस दौरान लोग व्रत रखते हैं और पूरे मन से गणेश वंदना में लीन होते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था. भगवान गणेश सभी देवताओं में पूजनीय हैं. किसी भी त्योहार व पूजा के मौके पर सबसे पहले भगवान श्री गणेश जी का ही स्मरण किया जाता है.
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के मौके पर अगर आप भी घर में मूर्ति की स्थापना कर रहे हैं तो कुछ बातों व नियमों का ध्यान देना बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं पंडित इंद्रमणि घनस्याल से इन नियमों के बारे में…
मूर्ति इस दिशा में करें स्थापित
पंडित घनस्याल के अनुसार भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति विराजमान करने के लिए ब्रह्मस्थान यानी पूर्व दिशा और उत्तर-पूर्व कोण दिशा शुभ मानी जाती है और इसी दिशा में भगवान गणेश की मूर्ति रखनी चाहिए. भूलकर भी इन्हें दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम कोण में नहीं रखना चाहिए. इससे व्यक्ति को भारी हानि हो सकती है.
इस तरह करें स्थापित
मूर्ति स्थापना करने के लिए सबसे पहले साफ चौकी बिछाएं. फिर गंगाजल का छिड़काव करके शुद्ध करें. फिर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और अक्षत् रखें. इसके बाद भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करें. मूर्ति स्थापित करने के बाद भगवान श्री गणेश को स्नान कराएं. श्री गणेश के दाईं ओर जल का कलश रखें और एक तरफ सुपारी रखें. इस दौरान भगवान श्री गणेश का मंत्र का जाप करें – ‘ऊं गं गणपतये नम:.’