नई दिल्ली। सोने की चमक डॉलर और अमेरिका की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। गोल्डमैन सैश ने अमेरिका में मुद्रास्फीति पर अचानक बढ़ती चिंता पर चेतावनी देते हुए कहा कि डॉलर को दुनिया की रिजर्व करेंसी के तौर में अपनी स्थिति खोने का खतरा है। गोल्डमैन ने अपने 12 महीने के पूर्वानुमान में सोने के लिए दो हजार डॉलर प्रति औंस से बढ़ाकर 2300 डॉलर प्रति औंस कर दिया। वर्तमान में इसकी कीमत लगभग दो हजार डॉलर प्रति औंस है। बता दें एक औंस में 28.35 किलो ग्राम होता है।
मोरेटोरियम बढ़ाने को लेकर रिजर्व बैंक पर नजरें
इसमें कहा गया है कि अमेरिकी बैंक वास्तविक ब्याज दरों को कम कर रहे हैं, जिससे सोने में उछाल आ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में ऋण का बढ़ता स्तर उसकी जीडीपी का 80 फीसदी से अधिक है, और केंद्रीय बैंक और सरकार का कदम मुद्रास्फीति में तेजी के जोखिम को बढ़ाता है। अमेरिकी कांग्रेस ने फेसियल स्टिटिमलैन्ट के एक और दौर में महामारी की वजह से बर्बाद हुई अर्थव्यवस्था को दम देने के लिए फेडरल रिजर्व ने इस साल लगभग 2.8 ट्रिलियन डॉलर तक झोंक दिया है।
गोल्डमैन रणनीतिकारों ने आगाह किया कि अमेरिकी पॉलिसी डिबेजमेंट फेय” को ट्रिगर कर रही है, जो ग्लोबल फॉरेन एक्सचेंज मार्केट्स में डॉलर के शासन को खत्म कर सकता है। निवेशकों को चिंता है कि इस पैसे आने वाले वर्षों में महंगाई बढ़ेगी और डॉलर के मुकाबले सोने में तेजी आ सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गोल्ड अंतिम उपाय की आखिरी करेंसी है।
आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तारीख को बढ़ाकर किया 30 सितंबर तक
सोने की रिकॉर्ड उंचाई से चिंता
लेकिन सोने की रिकॉर्ड उंचाई की वजह से निवेशकों की उम्मीदों बढ़ी हैं और इसके सतत प्रभाव पर चर्चा जोर पकड़ गई है। 10 साल की अल्पावधि दर, नाममात्र और मुद्रास्फीति से जुड़े ऋण के बीच अंतर, 1.51 फीसदी तक बढ़ गया है, जो मार्च में 0.47 फीसदी से कम है। इसमें कहा गया है कि मुद्रास्फीति की उम्मीदों पर दबाव बढ़ने का अनुमान है कि फेड जल्द ही नीतिगत दर को कीमतों से जोड़ने के लिए मार्गदर्शन करेगा। यह केंद्रीय बैंक के दो फीसदी लक्ष्य के ऊपर मुद्रास्फीति को कम से कम कुछ अस्थायी स्थान प्रदान करेगा।