नई दिल्ली। नए कृषि कानून के खिलाफ किसान झुकने को तैयार नहीं हैं। दिल्ली के बाद मुंबई में किसानों ने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज बुलंद की। सोमवार को मुंबई के आजाद मैदान में हजारों की संख्या में किसान जुटे हुए हैं।
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री व एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार समेत राज्य के कई नेता भी इस महारैली में शामिल हुए। इस दौरान शरद पवार ने केंद्र पर जमकर निशाना साधा है। पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि इस ठंडे मौसम में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान पिछले 60 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। क्या प्रधानमंत्री ने इनके बारे में जानकारी ली? क्या ये किसान पाकिस्तान के रहने वाले हैं?’
प्रधानमंत्री के साथ-साथ शरद पवार ने राज्यपाल पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल महोदय को कंगना से मिलने का वक्त है, लेकिन वे हमारे किसानों से नहीं मिल सकते हैं। महाराष्ट्र ने ऐसा राज्यपाल पहले कभी नहीं देखा है। यहां आना और आपसे मिलना राज्यपाल की नैतिक जिम्मेदारी थी।
यूपी का कौशांबी जिला पूरी तरह कोरोना मुक्त, गणतंत्र दिवस पर होगा सम्मान
किसानों की इस सभा में पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने कहा कि केंद्र ने बिना किसी चर्चा के कृषि कानूनों को पास कर दिया, जो संविधान के साथ मजाक है। अगर सिर्फ बहुमत के आधार पर कानून पास करेंगे तो किसान आपको खत्म कर देंगे, ये सिर्फ शुरुआत है।
बता दें कि आजाद मैदान में रैली के बाद किसानों को राजभवन तक मार्च निकालना था, लेकिन सभी किसानों को वहां तक जाने की इजाजत नहीं मिली है। ऐसे में अब कुल 23 किसानों का प्रतिनिधिमंडल ही राजभवन जाएगा और अपनी मांगों को सामने रखेगा। मुंबई में पुलिस ने किसान रैली स्थल पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं और प्रदर्शनकारियों को दक्षिणी मुंबई में यहां से राजभवन तक मार्च करने की इजाजत नहीं दी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से हजारों किसान केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए दक्षिणी मुंबई के आजाद मैदान में आयोजित एक रैली में हिस्सा लेने आए हैं।
किसानों को कुछ लोग गुमराह कर रहेः फडणवीस
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आजाद मैदान में किसानों की रैली पर कहा कि कुछ लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं। एनसीपी ने 2006 में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को मंजूरी दी। ऐसे में अगर अब केंद्र भी यही कानून लाया है, तो बुराई क्या है? कांग्रेस को इस दोहरेपन पर जवाब देना चाहिए।