लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोना वायरस से जंग के बीच बीते कुछ दिनों में वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को कई कामयाबियां हासिल हुई है। एक ओर इसकी कई वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के दौरान बेहतर परिणाम दे रही है, वहीं दूसरी ओर इसके इलाज के लिए डेक्सामेथासोन, फेपिराविर जैसी कई दवाएं भी सामने आई हैं।
दुनियाभर के कई देशों में भी हेपेटाइटिस की दवा कोरोना संक्रमण से बचाव में मददगार साबित हुई है। काला पीलिया यानी हेपेटाइटिस की दवा लेने वाले मरीजों को कोरोना वायरस संक्रमित नहीं कर पाया। संस्थान के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग और नेशनल वायरल हेपेटाइटिस सेंट्रल प्रोग्राम के मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर में करीब 1500 मरीजों पर यह रिसर्च की गई है।
गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग प्रमुख और सीनियर प्रोफेसर डॉ. प्रवीण मल्होत्रा ने बताया कि इस रिसर्च के दौरान करीब पांच माह तक हेपेटाइटिस बी और सी का इलाज कराने वालों में से 1500 मरीजों को चिह्नित कर मार्च से जुलाई महीने तक उनकी हेल्थ मॉनिटरिंग की गई। उनका दावा है कि हेपेटाइटिस की दवा कोविड-19 से बचाव में कारगर है।
बताया जा रहा है कि रोहतक पीजीआई, इंटॉक्स प्राइवेट लिमिटेड और काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंस्ट्रीयल रिसर्च नेशनल केमिकल लेबोरेट्री के साथ मिलकर बड़े स्तर पर इसका ट्रायल करेगा। इसके लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) को प्रस्ताव भेजा गया है।