ओरछा। अयोध्या में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखी गई। न सिर्फ अयोध्या बल्कि ओरछा में बने प्रभु श्री राम के मंदिर की भी विशेष मान्यता है। इस जगह श्री राम को भगवान नहीं माना जाता है। आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण?
ओरछावासी प्रभु श्री राम को भगवान नहीं बल्कि वहां के राजा मानते हैं। शुरुआत से ही यहां राम भगवान का ही शासन चलता है। जानकारी के मुताबिक, जब भी किसी कलेक्टर- पुलिस अधीक्षक (SP) की नई नियुक्ति होती है तो वह यह भगवान राम के सामने आकर रिपोर्ट करते हैं।
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प्रचलित कहानी के मुताबिक, राजा मधुकर को भगवान राम ने स्वप्न में दर्शन दिए और अपना एक मंदिर बनवाने को कहा। जिसके बाद मधुकर शाह बुंदेला के राज्यकाल (1554-92) के समय उनकी रानी गनेश कुवर अयोध्या से भगवान राम की मूर्ति लेकर आईं थीं। मूर्ति को मंदिर का निर्माण होने तक महल में रखवा दिया था।
राजा मधुकर शाह ने एक भव्य चतुर्भुज मंदिर के निर्माण का काम शुरू कराया था। राजा ने सोचा था कि मंदिर में मूर्ति की स्थापना पूरे विधि विधान से की जाएगी। स्थापना से पहले मूर्ति को रानी के रनवास में ही बैठाया दिया गया था। लेकिन जब मूर्ति की स्थापना करने का समय आया तो मूर्ति अपनी जगह से ही नहीं हिली। उसके बाद से ही कोई मूर्ति को उस स्थान से नहीं हिला पाया था।
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राजा मधुकर शाह ने अपना राजपाट छोड़कर भगवान श्री राम को ही सत्ता सौंप दी थी और उनका राज्य अभिषेक किया गया था। तब से इस मंदिर का नाम ‘राम राजा मंदिर’ रखा गया था और आज भी भगवान राम की मूर्ति उसी जगह पर स्थापित है।
भगवान राम का यह मंदिर चौकोर चबूतरे पर बना है। झांसी से यह मंदिर 16 किलोमीटर और ग्वालियर से 120 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर ओरछा के सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है।
बता दें यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है। शुरुआत से ही यहां भगवान राम का ही राज चल रहा है। लोग श्री राम को ही अपना राजा मानते हैं। पुलिस के जवानों की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया जाता है।