नई दिल्ली| दिल्ली में सरकारी और नगर निगम के स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को नहीं भरे जाने पर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) दिल्ली सरकार और तीनों नगर निगमों को आड़े हाथ लिया। न्यायालय ने कहा है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों, खासकर अच्छे शिक्षकों की कमी के कारण निजी स्कूल तेजी से बढ़ रहा है।
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जस्टिस संजीव सचदेवा ने कहा कि पद सृजित करने के बाद सालों तक नहीं भरे जाने से बैकलॉग भी बढ़ता है और शिक्षकों की कमी से शिक्षा का स्तर भी गिर रहा है। इस पर नगर निगम की ओर से अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि छात्रों की संख्या स्कूलों में कम हो रही है।
इसके बाद उच्च न्यायालय ने नगर निगमों को विशेष शिक्षक के खाली पड़े 935 पदों को भरने के लिए डीएसएसएसबी को आग्रह पत्र भेजने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने डीएसएसएसबी को नगर निगम के स्कूलों के लिए चयनित 780 उम्मीदवारों का डोजियर एमसीडी को भेजने का निर्देश दिया है।
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डीएसएसएसबी ने न्यायालय को यह भी बताया था कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के आग्रह पर उपराज्यपाल ने सिर्फ एक बार के लिए अधिकतम उम्रसीमा में 10 साल की छूट दी है। यह छूट केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर चुके अभियर्थियों को ही मिलेगी। अधिक उम्र होने के कारण ही विशेष शिक्षकों के खाली पदों को नहीं भरा जा रहा है।