हरदोई का हिस्ट्रीशीटर और जिला पंचायत सदस्य सुरेंद्र कालिया ने सरकारी गनर पाने और पूर्व सांसद को फंसाने के लिए खुद पर गोली चलवाई थी। पुलिस ने घटना पर शक किया तो उसने कोरोना का बहाना बनाकर चकमा देने की कोशिश की और अपने परिवार के साथ फरार हो गया। लेकिन नाटकीय ढंग से कोलकाता में गिरफ्तार हो गया।
कोलकाता में गिरफ्तार होने के बाद सुरेंद्र कालिया 9 महीने से लखनऊ आने से बच रहा था लेकिन अब वह लखनऊ जेल में कैद है।
13 जुलाई 2020 के दिन लखनऊ के आलमबाग थाना क्षेत्र के अजंता हॉस्पिटल में देर शाम सुरेंद्र कालिया पर उस वक्त जानलेवा हमला हुआ जब वह अपने एक बीमार साथी को अस्पताल में देखकर गाड़ी में बैठने जा रहा था। बताया गया कि पैदल आए दो लड़कों ने ताबड़तोड़ 6 से 7 राउंड फायरिंग की और फरार हो गए।
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फायरिंग के दौरान सुरेंद्र के ड्राइवर को गोली भी लगी, लेकिन उसकी जान बच गई। सुरेंद्र कालिया ने इस जानलेवा हमले का आरोप जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर लगाया और आलमबाग थाने में एफआईआर भी दर्ज करवा दी।
पुलिस ने गाड़ी को देखा, मौका मुआयना किया, सीसीटीवी खंगाला, चश्मदीदों से बात की तो पता चला कि मौके पर 4 या 5 राउंड ही फायरिंग हुई। लेकिन पुलिस ने सुरेंद्र कालिया की उस गाड़ी का भी मुआयना किया तो उस पर एक दो नहीं पूरी 17 गोलियां मारी गई थी। यह गोली भी गाड़ी के दोनों तरफ लगी थी।
फॉरेंसिक टीम और टेक्निकल मुआयना करवाया गया तो साफ हो गया उसकी काली Fortuner पर गोली तो चली लेकिन घटनास्थल पर नहीं और शूटरों की दिशा से नहीं।
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मामले की जांच शुरू हुई और पुलिस की पूछताछ में झूठ पकड़ा जाने लगा तो सुरेंद्र कालिया ने चकमा देने के लिए खुद को कोरोना पॉजिटिव बता दिया। पुलिस को लगा कि 14 दिन तक अब घर से बाहर नहीं निकलेगा लेकिन मौका मिलते ही वह परिवार के साथ लखनऊ के आशियाना स्थित घर छोड़कर फरार हो गया।
तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ने कालिया पर 50 हजार का इनाम घोषित कर दिया। सर्विलांस की मदद से तलाश की जाने लगी तो 13 अगस्त को उसकी लोकेशन मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर मंदिर के पास मिली। लखनऊ पुलिस मैहर पहुंची तो पता चला उसने अपने ड्राइवर विवेक मिश्रा के नाम पर होटल बुक कराया था और वह पुलिस के पहुंचने से 10 मिनट पहले ही चकमा देकर निकल गया।
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पुलिस ने सुरेंद्र कालिया की पत्नी समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन सितंबर 2020 में वह कोलकाता में अवैध पिस्टल के साथ गिरफ्तार हो गया। नाटकीय ढंग से हुई गिरफ्तारी भी उसका ही प्लान माना गया। सितंबर 2020 से मई 2021 तक पूरे 9 महीने में सुरेंद्र को लखनऊ लाने के लिए 5 वारंट बार दाखिल किया, लेकिन कभी कोरोना के नाम पर तो कभी बीमारी के नाम पर वह लखनऊ आने से बचता रहा।
आखिर कोर्ट ने भी लखनऊ पुलिस को बीते हफ्ता वारंट बी पर सुरेंद्र को ले जाने की अनुमति दे दी। फिलहाल सुरेंद्र कालिया को ज्यूडिशल कस्टडी में जेल भेज दिया गया है। एडिशनल डीसीपी सीएन सिन्हा की मानें तो कालिया से इस मामले में पूछताछ की जाएगी और जल्द उसे रिमांड पर लिया जाएगा।