नई दिल्ली. देशभर में अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों की रजिस्ट्री बनाने की योजना पर विचार चल रहा है, ताकि वास्तविक समय के आंकड़ों को एकत्र कर इलाज के परिणामों में सुधार, वैश्विक महामारी के बढ़ने की प्रवृत्तियों का विश्लेषण किया जा सके।
ICMR स्वास्थ्य मंत्रालय और एम्स के साथ मिलकर राष्ट्रीय नैदानिक रजिस्ट्री बनाने पर विचार कर रहा है जो अनुसंधानकर्ताओं और नीति निर्माताओं को कोविड-19 के रोगियों के इलाज के लिए जांच उपचारों की प्रभावशीलता, प्रतिकूल प्रभावों को समझने और इलाज में सुधार लाने के लिए साक्ष्य उत्पन्न करने में मदद करेगी।
आईएस ख़ुफ़िया इकाई का प्रमुख अफगानिस्तान में हुई सैन्य कार्रवाई में ढेर
अधिकारियों ने कहा, ‘इसका लक्ष्य अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों का आंकड़ा एकत्र करना है, जिनमें नैदानिक और प्रयोगशाला संबंधी विशेषताएं, उनकी जनसांख्यिकी, अन्य गंभीर बीमारियां, इलाज के नतीजे, सभी आयु वर्ग में जटिलताएं आदि शामिल हैं।’ उन्होंने कहा कि सार्स-सीओवी-2 और इसके कारण होने वाली बीमारी के इतने अज्ञात मापदंड हैं जो इसकी उचित समझ और बीमारी के प्रबंधन में एक बाधा हैं।
इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित 15 संस्थान अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के साथ जुड़ेंगे। इनमें चंडीगढ़ का पीजीआईएमईआर, एम्स दिल्ली, एम्स जोधपुर, बेंगलुरु का निमहंस और पुणे का आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज शामिल है।
अधिकारियों ने बताया कि ये 15 संस्थान रजिस्ट्री स्थल होंगे और करीब 100 कोविड-19 अस्पतालों को परामर्श देंगे जिन्हें सेटेलाइट केंद्र कहा जाएगा जहां से आंकड़े एकत्र किये जाएंगे। यह प्रस्ताव स्वीकृति के लिए आईसीएमआर के मानव अनुसंधान पर केंद्रीय आचार समिति को भेज दिया गया है।