रामपुर। कृषि बिल वापस लिए जाने को लेकर चल रहे किसान आंदोलन में 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान रामपुर की बिलासपुर तहसील के डिबडिबा के 24 वर्षीय नवरीत सिंह की मौत होने पर लगातार सियासी नेताओं का रामपुर आना जारी है। नवरीत सिंह की तेरवीं में शामिल होने और सपा सांसद आज़म खान की पत्नी शहर विधायक डॉ तंज़ीन फात्मा से मिलने पहुंचे उ0प्र0 विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी भी बुधवार की रात में रामपुर पहुँच गये थे।
जिस पर सुबह सबसे पहले बिलासपुर के ही किसान कश्मीरा सिंह की आंदोलन के दौरान हुई मौत पर संवेदना प्रकट करने उसके घर पहुँचे और वहाँ से डिबडिबा पहुँचकर नवरीत सिंह की तेरहवीं में शामिल हुए।बिलासपुर से वापसी के बाद राम गोविंद चौधरी आज़म खान के आवास पर पहुँचे और उनकी पत्नी शहर विधायक डॉ तंज़ीन फात्मा और परिवार से मुलाकात कर हालचाल जाना। इस दौरान लम्बी बातचीत की और हर सम्भव मदद का भरोसा दिलाया।
वहीं पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में रामगोविंद चौधरी ने प्रेस से हुई बात में कहा कि किसान की मौत पुलिस की गोली से हुई है न कि ट्रैक्टर से मौत हुई है कहा कि पुलिस की गोली से उसकी मौत हुई है जिसकी सभी ने चर्चा की है भले ही कम की हो।
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पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोली की पुष्टि नहीं होने पर कहा कि जो भी आया हो लेकिन ट्रैक्टर में कौन सी ऐसी चीज है जो सर में इधर से उधर निकल जाए।उस लड़के को पहले पुलिस की गोली लगी उसके बाद ट्रैक्टर डिस बैलेंस हुआ हुआ और पलटा। हमने मांग की है कि इसको और कश्मीरा सिंह को शहीद का दर्जा दे सरकार।
किसान आंदोलन पर कहा कि किसान आंदोलन देश की आजादी की तीसरी लड़ाई है एक लड़ाई गांधी जी के नेतृत्व में लड़ी गई जिसमें देश आजाद हुआ। दूसरी लड़ाई 1974 में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में हम लोगों ने लड़ी जिसमें मैं 22 महीने जेल में रहा और उसमें भी लोकतंत्र और संविधान खतरे में था वह भी वापस आया। और तीसरी यह किसानों की लड़ाई है। कहा कि जीत किसानों की होगी और कोई भी लड़ाई कोई भी जीत जल्दी नहीं होती है। आप लोग भी अगर सही बात कह दे और लिख दे तो आप पर भी f.i.r. और आपको भी जेल होगी।
जब इस स्तर पर सरकार आ गई कि जो बनाया किसान ने बनाया और मीडिया ने बनाया है। किसान अगर सही बात कह रहा है तो उसको भी आतँकवादी खालिस्तानी कह रही है और मीडिया सही दिखा रहा है तो उसको भी जेल भेज रही है तो सरकार का कब क्या होगा उसको अब जाना तय है। तीनों कानून वापस लेना पड़ेगा और एमएसपी के लिए कानून बनाना पड़ेगा। अगर इन्होंने वापस नहीं लिया तो देश की जनता अन्नदाताओं के साथ हो जाएगी पत्रकार भी हो जाएंगे साहित्यकार भी हो जाएंगे कवि भी हो जाएंगे और सभी एक हो जाएंगे और सरकार को जाना पड़ेगा। और जो भी सरकार आएगी किसान जो मांग कर रहे हैं उसे सरकार को मानना पड़ेगा।
आजम खान के मुद्दे को लेकर कहा कि जब भी सदन चला है बाहर प्रदर्शन किया है।कोई भी ऐसा सदन नहीं है जिसमें दो बार तीन बार आगे आकर मुद्दों को नहीं उठाता रहा हूं।आज़म खान पर कार्यवाही बिल्कुल तानाशाही है क्योंकि आज़म खान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय नेता हैं।
और आज़म खान के बहाने समाजवादी पार्टी को भारतीय जनता पार्टी नष्ट करना चाहती है। लेकिन समाजवादी पार्टी आजम खान की कुर्बानी और 5 साल की अखिलेश यादव की सरकार के विकास और इस सरकार के विनाश के जो काम है उसको देखकर पुनः 2022 में जैसे किसानो ने यह व्रत ले लिया है या तो हमारे कानून वापस लेंगे या सरकार बदलेंगे उसी तरह से 2022 में अखिलेश यादव की सरकार आएगी और विश्वविद्यालय की जमीन वापस होगी और जितने भी मुकदमे आजम खान और उनके परिवार पर दर्ज हुए हैं वह वापस लिए जाएंगे।पहले भी वापस लिए गए हैं।
अखिलेश के डीएम को यूपी कैडर में लाने पर कहा कि सिक्किम कैडर के थे और हमारी सरकार में यूपी कैडर में आए थे सपाइयों की सिफारिश पर ही। सिफारिश पर काम होते हैं कौन जानता है कौन आदमी कैसा है।
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यूनिवर्सिटी की 14 सौ बीघा जमीन पर कहा कि यह बात मैंने उठाई है राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी उठाई है सोशल मीडिया और अखबारों में भी उठाया है लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री की बात भी बहुत छोटी सी छपती है जबकि योगी की बेबुनियाद बात की खबर पूरे पेज पर छपती है।कहा कि आजम खां की सबसे ज्यादा चिंता है समाजवादी पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में क्या हो रहा है मैं नहीं जानता लेकिन हमारी तरफ पूर्वी उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रदर्शन और ज्ञापन दिए जा रहे हैं।
इस मौक़े पर जिलाध्यक्ष अखिलेश कुमार,पूर्व विधायक विजय सिंह,विधायक फहीम इरफान,फरहान खान,अमरजीत सिंह,जस्सा सिंह के अलावा अन्य लोग भी मौजूद रहे।