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जानें गणपति की पूजा में कितनी और क्यों दूर्वा चढ़ाना माना जाता है शुभ

Desk by Desk
24/08/2020
in Main Slider, ख़ास खबर, धर्म, फैशन/शैली, राष्ट्रीय
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ganesh chaturthi

गणेश चतुर्थी

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धर्म डेस्क। हिंदू धर्म के प्रमुश त्योहारों में से एक गणेश चतुर्थी का उत्सव शुरू हो चुका है। 10 दिन तक चलने वाले  इस उत्सव में गणपरति बप्पा की विधि-विधान के साथ पूजा अ4चना की जाती हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और ऋद्धि-सिद्धी का स्वामी कहा जाता है। इनका स्मरण, ध्यान, जप, आराधना से सभी कामनाएं पूरी होती हैं।

मान्यता हैं कि बप्पा को दूर्वा चढाने से सभी बाधाओं से मुक्ति मिलने के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। गणेश जी को प्रदान की गई दूर्वा जातक के जीवन में भी हरियाली यानी कि खुशियों को बढ़ाने वाली होती है।

गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने की भी एक विधि हैं। गणपति को दूर्वा हमेशा जोड़ा में चढ़ाई जाती हैं। 22 दूर्वा को जोड़े से बनाने पर 11 जोड़ा दूर्वा का तैयार हो जाता है। जिसे भगवान गणेश को अर्पित करने से मनोकामना की पूर्ति में सहायक माना गया है। जानिए श्री गणेश को जोडे में दूर्वा क्यों चढाई जाती है और किस तरह।

जीवन में सुख व समृद्धि की प्राप्ति के लिए श्रीगणेश को दूर्वा ज़रुर अर्पित की जानी चाहिए। दूर्वा एक प्रकार की घास है। जिसे किसी भी बगीचे में आसानी से उगाया जा सकता है।  भगवान श्रीगणेश को अर्पित की जाने वाली दूर्वा श्री गणेश को 3 या 5 गांठ वाली दूर्वा अर्पित की जाती है।

यदि आपको लग रहा कि इन मंत्रों को बोलनें में आपको कठिनाई हो रही हैं तो आप इस मंत्र को बोल कर गणेश जी को दूर्वा अर्पण कर सकते हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था। इस दैत्य के कोप से स्वर्ग और धरती पर त्राही-त्राही मची हुई थी। अनलासुर ऋषि-मुनियों और आम लोगों को जिंदा निगल जाता था। दैत्य से त्रस्त होकर देवराज इंद्र सहित सभी देवी-देवता और प्रमुख ऋषि-मुनि महादेव से प्रार्थना करने पहुंचे। सभी ने शिवजी से प्रार्थना की कि वे अनलासुर के आतंक का नाश करें। शिवजी ने सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों की प्रार्थना सुनकर कहा कि अनलासुर का अंत केवल श्रीगणेश ही कर सकते हैं। जब श्रीगणेश ने अनलासुर को निगला तो उनके पेट में बहुत जलन होने लगी। कई प्रकार के उपाय करने के बाद भी गणेशजी के पेट की जलन शांत नहीं हो रही थी। तब कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठ बनाकर श्रीगणेश को खाने को दी। जब गणेशजी ने दूर्वा ग्रहण की तो उनके पेट की जलन शांत हो गई। तभी से श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई।

Tags: durvaganesh chaturthi 20120How to worship lord ganesha with durvaimportance of durvaImportance of Durva in worship of Ganeshalord ganeshawithout Durva Ganesh worship is not completeगणपति पूजा में दूर्वा का महत्‍वगणेश चतुर्थी 2020
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