बरेली। उत्तर प्रदेश में बरेली के चर्चित लाली एनकाउंटर मामले में आरोपी दरोगा युधिष्ठिर के खिलाफ मामले की सुनवायी कर रहे अपर सेशन जज-12 पशुपति नाथ मिश्रा की अदालत में आरोपी के दोषी साबित होेने के बाद शुक्रवार को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) तथा 20 हजार रूपये के अर्थदंड की सजा सुनायी।
अपर सेशन जज-12 पशुपति नाथ मिश्रा ने सुनवाई करते हुए बुधवार को हत्या के आरोपित दारोगा युधिष्ठिर सिंह को दोषी ठहराया था।
अदालत के फैसले पर लाली के परिजनों ने संतोष जताया है लेकिन साथ ही दोषी दरोगा को फांसी दिये जाने की मांग करते हुए , मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की बात कही है। परिवार ने न्याय पाने के लिए कड़ा संघर्ष किया । लाली की मां ने खुद इसके लिए अथक प्रयास किये और सुप्रीम कोर्ट तक गई तब मामला सीबीसीआईडी पहुंचा और अब कहीं जाकर आरोपी दरोगा को सजा मिल पाई।
गौरतलब है कि यह मामला वर्ष 1992 का है। थाना कोतवाली में तैनात रहे दारोगा युधिष्ठिर सिंह ने 23 जुलाई 1992 को मुकेश जौहरी उर्फ लाली को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया था। दारोगा ने अपने बचाव के लिए वारदात को मुठभेड़ दर्शाकर मृतक लाली पर लूट व जानलेवा हमला करने के आरोप में मुकदमा दर्ज करा दिया। दारोगा ने कोतवाली में रिपोर्ट लिखाई कि वह वारदात की शाम 7:45 बजे बड़ा बाजार से घरेलू सामान खरीद कर वापस लौट रहे थे। तभी तीन व्यक्तियों को पिंक सिटी वाइन शाप के सेल्समैन से झगड़ते हुए देखा था। एक व्यक्ति ने जबरन दुकान से शराब की बोतल उठा ली तो दूसरे ने दुकानदार के गल्ले में हाथ डाल दिया। सेल्समैन के विरोध करने पर एक व्यक्ति ने सेल्समैन पर तमंचा तान दिया।
दारोगा युधिष्ठिर सिंह ने आरोपियों को ललकारा तो एक ने उन पर फायर झोंक दिया जिससे वह बाल-बाल बचे। दारोगा ने पुलिस को बताया कि अगर वह गोली नहीं चलाते तो बदमाश उनकी जान ले सकते थे। उन्होंने अपनी आत्मरक्षा में एक बदमाश पर अपने सरकारी रिवाल्वर से गोली चला दी जिससे वह लहूलुहान होकर गिर पड़ा। बाकी दो व्यक्ति मौके से फरार हो गए। मुकेश जौहरी उर्फ लाली की अस्पताल ले जाते समय मृत्यु हो गई थी।
दारोगा ने लूट व जानलेवा हमला के आरोप में थाना कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया जबकि शराब विक्रेता द्वारा दिए गए शपथ पत्र में यह कहा गया कि उसकी दुकान पर ऐसा कोई विवाद नहीं हुआ। जिससे दरोगा अपने जाल में फंस गया। जांच में पाया गया कि मुकेश जौहरी उर्फ लाली के साथ मुठभेड़ नहीं हुई बल्कि दारोगा ने जानबूझकर जान से मारने के इरादे से लाली पर गोली चलाई थी, जिससे उसकी मृत्यु हो गई।
मामले की सुनवायी के बाद अदालत में सबूतों के आधार पर दरोगा का गुनाह साबित होने के बाद सजा सुनायी (Life Imprisonment) गयी और उसे जेल भेज दिया गया।