दिवाली का त्योहार धनतेरस (Dhanteras) से ही शुरू हो जाता है। धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस के दिन सोने और चांदी की चीजें खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस की रात देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा के अलावा यमराज की भी पूजा की जाती है। यम के नाम पर एक दीपक (Yam ka Deepak) भी जलाया जाता है। आइए, जानते हैं कि यम का दीपक क्यों जलाया जाता है और इसकी सही विधि क्या है।
क्यों जलाया जाता है यम का दीपक (Yam ka Deepak) ?
धनतेरस (Dhanteras) के दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। साथ ही रात के समय दक्षिण दिशा में चार मुखी यम का दीपक भी जलाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में दक्षिण दिशा को भगवान यमराज की दिशा माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस के दिन यदि दक्षिण दिशा में यम का दीपक जलाया जाए, तो यमराज प्रसन्न होते हैं। यह दीपक परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के लिए घर के बाहर भगवान यमराज के लिए जलाया जाता है। इसे यमराज द्वारा दीपदान या यम दीपम भी कहा जाता है।
यम का दीपक जलाने (Yam ka Deepak) का शुभ मुहूर्त
धनतेरस (Dhanteras) के दिन यमराज का दीपक जलाने के लिए शाम का समय सबसे अच्छा माना जाता है। ऐसे में धनतेरस पर यम दीप जलाने का शुभ समय शाम 5.30 बजे से 6.49 बजे तक रहेगा।
इस विधि से जलाएं यम दीपक (Yam ka Deepak)
धनतेरस पर यम दीप जलाने के लिए आटे का चौमुखी दीपक बनाएं। इसमें सरसों का तेल डालें। फिर इस आटे के दीपक में चार बत्तियां लगाकर, घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जला दें। इससे पूरे परिवार में स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि आती है।