मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोविड काल में मध्यप्रदेश की पुलिस द्वारा किए गए कार्य की राष्ट्र स्तर पर प्रशंसा हुई है। इसके लिए हमारा पुलिस महकमा बधाई का पात्र है।
श्री चौहान ने आज निवास पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गत दिनों ली गई देश के समस्त डी.जी. एवं आई.जी. कॉन्फ्रेंस के संदर्भ में बैठक ली। बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, डीजीपी विवेक जौहरी, एडीजी सतर्कता मकरंद देउस्कर आदि उपस्थित थे। मुख्यमंत्री कहा कि हमें प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप मध्यप्रदेश की पुलिस कार्यप्रणाली को देश में सर्वश्रेष्ठ बनाना है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि अपराधों की प्रभावी रोकथाम के लिए ‘क्राइम एनालिसिस’ और अपराधों के ‘हॉट स्पॉट’ छांटने में आई.टी. का पूरा उपयोग किया जाना चाहिए। सी.सी.टी.वी. नैटवर्क को और उन्नत किया जाए। पी.एच.क्यू. में चीफ टैक्निकल ऑफीसर भी नियुक्त किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि महिला एवं बच्चों के विरूद्ध अपराध के मामलों में प्रभावी कार्यवाही की जाना चाहिए। इसके लिए सभी जिलों में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। बाल एवं किशोर न्यायालयों को ‘चाइल्ड फ्रेंडली’ बनाया जाए।
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श्री चौहान ने कहा कि नक्सलवाद को रोकने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए। आंध्रप्रदेश, उड़ीसा तथा छत्तीसगढ़ राज्यों की तरह मध्यप्रदेश की नक्सली आत्मसमर्पण योजना को बेहतर बनाएं। नक्सली क्षेत्रों में ‘कम्यूनिटी रेडियो’ प्रारंभ करें, जो वहीं की भाषा में लोगों को जानकारी दे। उन्होंने निर्देश दिए कि भगोड़ों केविरूद्ध मिशन मोड में कार्रवाई होनी चाहिए, जिससे वे समाज में यहां-वहां न घूम सकें। गंभीर अपराधों (7 वर्ष से ऊपर सजा वाले) में एफ.एस.एल. विजिट अनिवार्य हो। जेलों के सुधार के संबंध में भी कार्य किया जाए। पुलिस अपना ‘विजन 2030’ तैयार करे। आंध्रप्रदेश की तर्ज पर ‘इंटीग्रेटेड क्राइम मैनेजमेंट व्हीकल’ तैयार की जा सकती है।
इस बैठक से पूर्व श्री चौहान ने ‘नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनीवर्सिटी’ से संबद्धता संबंधी बैठक में निर्देश दिए कि प्रदेश में अपराधों की रोकथाम के लिए पुलिस की दक्षता, ज्ञान, अत्याधुनिक प्रणाली का उपयोग आदि के लिए इस विश्वविद्यालय की पूरी सेवाएं ली जाएं। प्रदेश में ‘नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी’ का कैंपस खोला जा सकता है। इस संबंध में 01 सप्ताह में जानकारी दी जाए।