महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना गया है, जो देवी महालक्ष्मी की कृपा पाने के लिए किए जाते हैं। हर साल 16 दिनों तक रखे जाने वाले ये व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि से शुरू होकर अश्विव कृष्ण अष्टमी तिथि पर समाप्त होते हैं। इस बार महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत 31 अगस्त से हो रही है, जो कि 14 सितंबर को समाप्त होंगे। इस व्रत में देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है और अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। अगर आप भी 16 दिवसीय यह व्रत रखने जा रही हैं, तो इस लेख में आपको महालक्ष्मी व्रत से जुड़ी सारी जानकारी मिल जाएगी।
महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) में 16 का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत में 16 बार तर्पण, 16 दीपक, 16 दिन का व्रत, 16 श्रृंगार, 16 डुबकी, 16 दूर्वा और 16 बोल की कहानी सुनने का विधान है। महालक्ष्मी व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। अगर कोई भक्त 16 दिन का पूरा व्रत न कर पाए, तो वह तीन व्रत भी कर सकता है। इसमें वह पहले, मध्य और अंतिम दिन पूजा करके पुण्य प्राप्त कर सकता है।
महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) कलश स्थापना मुहूर्त:– 31 अगस्त को सुबह 5:48 से सुबह 7:35 मिनट तक रहेगा।
महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) के लिए मंत्र
महालक्ष्मी व्रत के दौरान इन मंत्रों का जाप करना चाहिए-
महालक्ष्मी गायत्री मंत्र- “ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ”
महालक्ष्मी बीज मंत्र- “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः”
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नम:”
“ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै स्वाहा सर्वांगं पातु मे सदा। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै स्वाहा मां पातु सर्वतः”
महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) सामग्री
महालक्ष्मी व्रत के दौरान पूजा के लिए कलश, घी, दीपक, फल-फूल, सुपारी, हल्दी की गांठ, रोली, कुमकुम, कपूर, पंचामृत, पान, लाल कपड़ा, 16 श्रृंगार की सामग्री, धूपबत्ती, नारियल, खीर आदि समेत पूजा की सभी सामग्री चाहिए।
महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) बेहद शुभ माना जाता है और इस दौरान लोग जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए देवी लक्ष्मी के लिए कठिन व्रत का पालन करते हैं। मान्यता कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को धन और सफलता की प्राप्ति होती है। साथ ही, जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती है।
महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) क्यों रखा जाता है?
महालक्ष्मी व्रत 16 दिनों तक रखे जाते हैं, जो कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष अष्टमी के दिन से श्री महालक्ष्मी व्रत शुरू हो जाते हैं और आश्विन माह में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को यह व्रत संपन्न होते हैं। धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए श्री महालक्ष्मी व्रत किया जाता है।
महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) पूजा की सामग्री
कलश (जल भरा हुआ नारियल और पंच पल्लव के साथ)
महालक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर
श्री यंत्र
दीपक (देसी घी के 16 दीपक)
हल्दी, रोली, अक्षत
लाल फूल, दुर्वा घास
श्रृंगार का सामान
ड्राई फ्रूट, फल और दूध से बनी मिठाइयां (भोग के लिए)
कच्चा सूत का धागा (16 गांठों वाला)
महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) की विधि
– संकल्प और स्थापना:- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की सफाई करें। कलश स्थापना कर उस पर नारियल रखें और महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
– धागा बांधना:- 16 गांठों वाला धागा अपने हाथ की कलाई पर बांधें और यह धागा व्रत पूरा होने तक हाथ में रखना चाहिए।
– पूजा-अर्चना:- 16 दिनों तक प्रतिदिन सुबह और शाम को मां लक्ष्मी की पूजा करें। साथ में गणेश जी का पूजन भी जरूर करें।
– भोग और फूल:- महालक्ष्मी को लाल फूल, दुर्वा घास और ड्राई फ्रूट्स का मां को भोग लगाएं और श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
– कथा और आरती:- महालक्ष्मी की कथा सुनें और उनकी आरती करें।
महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) के नियम
आहार:- महालक्ष्मी व्रत के दौरान सात्विक भोजन करें और खट्टी व नमक वाली चीजें खाने से बचना चाहिए।
तामसिक भोजन का त्याग:- महालक्ष्मी व्रत के दौरान परिवार के सदस्यों को भी तामसिक भोजन से दूर रहने के लिए कहें।