मकर सक्रांति का पर्व 14 जनवरी के दिन मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसीलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।
मान्यता है कि मकर संक्रांति के समय ही सूर्य अपने पुत्र यानि शनि से मिलने जाते हैं। इस पर्व से सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।
हर त्योहार की तरह मकर संक्रांति पर भी पूजा और दान करने का अपना महत्व है, इसलिए एक दिन पहले ही पूजन सामग्री जुटा लेना बहुत जरूरी है।
कल मकर संक्रांति की पूजा के दौरान अफरा-तफरी ना हो, इसके लिए एक बार फिर से पूजन और दान सामग्री की लिस्ट जरूर चेक कर लीजिए।
मकर संक्रांति की पूजन सामग्री-
मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करना शुभ जाता है। हालांकि, इस बार कोविड महामारी के खतरे को देखते हुए घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर उससे ही स्नान कर लें। अगर आपके घर में गंगाजल नहीं है तो आस-पास के लोगों से भी जुटा सकते हैं। संक्रांति पर शुद्ध घी, काला तिल, गुड़, लड्डू, खिचड़ी से पूजन करने के बाद इन्हें दान किया जाता है। इसलिए इन चीजों को भी आज ही मंगा लें।
दान के लिए जरूरी चीजें-
मकर संक्रांति को तिल संक्रांति भी कहा जाता है। इस दिन काले तिल और तिल से बनी चीजों को दान करने से पुण्य लाभ मिलता है। कहा जाता है कि काले तिल के दान से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा इस दिन नए अन्न, कम्बल, घी, वस्त्र, चावल, दाल, सब्जी, नमक और खिचड़ी का दान करना सर्वोत्तम होता है। इस दिन शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा के बाद तेल का दान करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। दान के लिए इन चीजों को भी आज ही इकठ्ठा कर लें।
मकर संक्रांति का महत्व-
मकर संक्रांति के दिन से सभी शुभ और मांगलिक कार्य दोबारा शुरू हो जाते हैं। इसे बहुत सी जगहों पर खिचड़ी तो कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है। इस दिन खाने में नए अन्न की खिचड़ी बनाई जाती है। इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से मिलने जाते हैं। ज्योतिष में शनिदेव को मकर राशि का स्वामी माना गया है इसलिए ही इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन से ही ठण्ड भी कम होने लगती है।