भोपाल। देश में आज से चिकित्सा शिक्षा का नया अध्याय शुरू हो रहा है। मध्य प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बनने जा रहा है, जहाँ मेडिकल की पढ़ाई अब हिन्दी (Medical Studies in Hindi) में भी हो सकेगी। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज (रविवार को) भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में दोपहर 12 बजे राज्य सरकार द्वारा किये गए इस नवाचार का शुभारंभ एवं मेडिकल की हिन्दी पुस्तकों का विमोचन करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे।
जनसम्पर्क अधिकारी दुर्गेश रायकवार ने बताया कि कार्यक्रम में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग विशिष्ट अतिथि होंगे। भोपाल के लाल परेड मैदान में आयोजित कार्यक्रम ‘हिंदी में ज्ञान का प्रकाश’ में करीब 30 हजार विद्यार्थियों के अलावा चिकित्सा और हिंदी क्षेत्र के जानकार शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह देश एवं प्रदेश के लिये गर्व का विषय है कि आजादी के अमृत महोत्सव में हिंदी माध्यम में शिक्षित छात्रों के लिये हिन्दी में भी मेडिकल की पढ़ाई के असंभव और अकल्पनीय कार्य का शुभारंभ किया जा रहा है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशानुरूप मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश में चिकित्सा पाठ्यक्रम को हिन्दी में तैयार करने का निर्णय लिया। इस निर्णय को अमल में लाने के लिये कार्ययोजना बना कर तीव्र गति से कार्य किया गया। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग के नेतृत्व में उच्च स्तरीय टास्क फोर्स समिति गठित की गई। साथ ही विषय निर्धारण एवं सत्यापन कार्य के लिये समितियों का गठन किया गया। हिन्दी में पाठ्यक्रम तैयार करने एवं उसके सत्यापन कार्य के लिए चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल में हिन्दी प्रकोष्ठ वार रूम मंदार तैयार किया गया। पाठ्यक्रम निर्माण में चिकित्सा छात्रों एवं अनुभवी चिकित्सकों के सुझाव शामिल किए गए। ईडीआई जारी कर एमबीबीएस के विषयों के ऑथर और पब्लिशर का चिह्नांकन किया गया।
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एमबीबीएस की पुस्तकों के हिन्दी रूपांतरण का कार्य शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के संबंधित विषयों के प्राध्यापक तथा सह प्राध्यापकों ने किया। पाठ्यक्रम तैयार किये जाने का कार्य चरणबद्ध रूप से वॉल्यूम (Volume) आधारित प्रणाली से किया जा रहा है। छात्रों, शिक्षकों एवं समाज में हिन्दी में चिकित्सा शिक्षा/ MBBS पाठ्यक्रम के संबंध में सकारात्मक वातावरण बनाने, क्रियान्वयन एवं मॉनिटरिंग के लिये संस्थान स्तर पर समिति बनायी गयी।