लखनऊ के सरोजिनी नगर थाने में तहसील के राजस्व लिपिक मयंक शुक्ला की ओर से 98 लोगों के खिलाफ जालसाज़ी, सरकारी धन हड़पने और आपराधिक साज़िश की धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई गई है। पूरा मामला राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना में मिलने वाले सरकारी अनुदान को हड़पने का है।
इस सरकारी योजना में परिवार के मुखिया की मृत्यु होने पर आश्रित परिवार को एक मुश्त 30 हज़ार रुपये मिलते हैं। बस इसी सरकारी अनुदान को हासिल करने के लिए 21 जिंदा लोगों को कागज़ों पर मार दिया गया और 8 लोगों की मृत्यु की तारीख़ में हेरफेर कर अनुदान हड़पा गया।
एफआईआर में जिनको आरोपी बनाया गया है उनमें दो दलाल, 21 वो लोग जिनको मुर्दा दिखाया गया और फ़र्ज़ी डेथ सर्टिफिकेट से 30 हज़ार रुपये की सरकारी सहायता ली गई।
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वहीं, आठ ऐसे लोगों को आरोपी बनाया गया जिन्होंने परिवार के मुखिया की मृत्यु की तारीख़ गलत बताकर सरकारी धन हड़पा। 67 उन लोगों को आरोपी बनाया गया है जिन्होंने फ़र्ज़ी दस्तावेज लगाकर सरकारी अनुदान प्राप्त करने की कोशिश की लेकिन जांच के दौरान पकड़े गए। इंस्पेक्टर सरोजिनी नगर महेंद्र सिंह ने बताया कि राजस्व लिपिक मयंक शुक्ला की तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर ली है।
जानकारी के मुताबिक, इस पूरे खेल के मास्टरमाइंड गौरीशंकर खेड़ा के सहजराम और बंथरा के भगौती शर्मा हैं। ये दोनों आरोपी ही वो दलाल हैं, जिन्होंने सरकारी धन हड़पने के लिए ज़िंदा लोगों के फ़र्ज़ी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाए थे। जिन 67 लोगों की सरकारी सहायता रोकी गई है उनके भी फ़र्ज़ी डेथ सर्टिफिकेट इन दोनों ने ही बनवाए थे।
इंस्पेक्टर ने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। बता दें कि उत्तर प्रदेस में फर्जीवाड़ा का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी ऐसे कई मामले आ चुके हैं। कई मामले की तो अभी तक जांच भी चल रही है।