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बच्चों में फैला अब नई बीमारी MIS-C का संकट, 350 बच्चे इस बीमारी की चपेट में

कोरोना (Corona) और ब्लैक फंगस (Black fungus) के बाद बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रन (Multi System Inflammatory Syndrome in Children MIS-C) नामक नई बीमारी कहर ढा रही है। इस बीमारी की चपेट में वो बच्चे आ रहे हैं, जो कोरोना के मरीज रह चुके हैं या जिनके घर में लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। इलाज करवाने के बाद बच्चे ठीक हो जा रहे हैं। जालंधर जिले में इस साल अब तक करीब 350 बच्चे एमआइएस-सी की गिरफ्त में आ चुके हैं।

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इस बीमारी के 35 बच्चों का सफल इलाज करने वाले डा. गुरदेव चौधरी की मानें तो एमआइएस-सी बच्चों में कोरोना पाजिटिव (Cororna Positive) आने के छह से आठ सप्ताह बाद होता है। यह एक नई बीमारी है, इसलिए इसके बारे में सटीक जानकारी अभी तक नहीं है। कोविड 19 पाजिटिव बच्चों में से करीब एक फीसद तक में एमआइएस-सी के मामले सामने आ रहे हैं। अगर इलाज की सुविधा न मिले तो इन एक फीसद बच्चों में से तकरीबन एक फीसद के करीब मृत्यु दर आंकी गई है। इस बीमारी पर यूएस सेंटर फार डसीसिज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन और दी नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ की टीमें काम कर रही हैं।

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डा. सौरभ उप्पल की मानें तो कोरोना होने पर ज्यादातर बच्चों में लक्षण नहीं आते हैं। बीमारी के बाद उनके शरीर में एंटी बाडी बहुत ज्यादा बन जाते हैं। इसकी वजह से उनके शरीर के विभिन्न अंग प्रभावित होने लगते हैं। इसी कारण बच्चों को दौरे पडऩे, हार्ट व किडनी से संबंधित समस्याएं आने लगती हैं। इस बीमारी से जूझ रहे बच्चों का सही समय पर इलाज न होने पर उनके दिल की नाड़ियां ढीली हो जाती हैं और रक्त संचार प्रभावित होने से मौत का कारण बन सकती है। उन्होंने कोरोना होने पर बच्चों को दूर रखने की सलाह दी है। अगर बच्चे को कोरोना हुआ है तो उसके ठीक होने के बाद भी निगरानी रखें। उसकी तबियत खराब होने पर तुरंत इलाज करवाएं।

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कोरोना से ठीक हो चुके मुकेरियां के दो साल के बच्चे अरमान का लीवर प्रभावित हो चुका था। उसे पीलिया की शिकायत होने के साथ-साथ दौरे पड़ने लगे। परिजन खासे घबराए हुए थे। डाक्टरों को दिखाया, दवा की, परंतु अगले दिन बच्चे को सांस लेने में दिक्कत आने लगी। उसे जालंधर के निजी अस्पताल में दाखिल करवाया और वेंटीलेटर पर रखा गया। उसकी किडनियां भी प्रभावित होने लगी थीं। साथ ही पेशाब में खून आने लगा। जांच में बच्चे को एमआइएस-सी का मामला निकला। डाक्टरों ने उसका इलाज किया और पांचवें दिन वह वेंटीलेटर से बाहर निकाला और ठीक होने लगा।

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जालंधर की रहने वाली सात साल की फैयजा को भी दौरे पड़ने लगे। किडनी की समस्या के चलते पेशाब में खून और दिमाग में सोजिश के साथ ब्लड प्रेशर डाउन जाने लगा था। परिजन गली मोहल्ले के डाक्टर से इलाज करवाते रहे। तबियत ज्यादा बिगड़ने से जालंधर के निजी अस्पताल में लेकर आए। परिवार की आर्थिक स्थिति भी काफी कमजोर थी। अस्पताल के डाक्टरों की टीम और स्वयंसेवी संगठन की सहायता से मरीज का इलाज किया गया। डाक्टरों ने उसे एमआइएस-सी के चक्रव्यूह से बाहर निकालने में कामयाबी हासिल की। फैयजा भी कोरोना की मरीज रह चुकी थी।

एमआइएस-सी क्या है

बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी ङ्क्षसड्रोम (एमआइएस-सी) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर के विभिन्न हिस्सों में सूजन हो सकती है, जिसमें हृदय, फेफड़े, गुर्दे, मस्तिष्क, त्वचा, आंखें या आंतें शामिल हैं।

कैसे करें पहचान

तेज बुखार तीन दिनों से अधिक समय तक रहे

पेट (आंत) दर्द

उल्टी, दस्त

गर्दन में दर्द

चकत्ते होना

आंखों व जीभ में लाली

हाथों और पैरों की त्वचा में सूजन और छिल जाना

थकान महसूस होना

पेट में तेज दर्द

सांस लेने मे तकलीफ

तेज दिल की धड़कन

होंठ या नाखून का रंग पीला या नीला पड़ जाना

एमआइएस-सी के खतरे को कैसे टाले

इससे बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि आप खुद को कोरोना संक्रमण से बचाएं। आजकल बच्चे घर से बाहर नहीं जा रहे हैं। उन्हें केवल अपने परिवार के सदस्यों से ही संक्रमण हो सकता है। मास्क, शारीरिक दूरी व हाथ धोने के नियमों का पालन करें। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। इसके अलावा पार्टियों, समारोहों या शादियों में शामिल होने से बचें। बारी आने पर वैक्सीन जरूर लगवाएं।

किन बच्चों को होता है खतरा

कोई भी बच्चा जो पहले कोविड-19 से संक्रमित हो चुका है, उसे यह बीमारी हो सकती है। अधिकांश बच्चे कोविड संक्रमण के दौरान पूरी तरह से स्वस्थ रहते हैं या उनमें बहुत हल्के लक्षण होते हैं। हालांकि बाद में वो एमआइएस-सी से पीड़ित हो सकते हैं।

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