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मोदी का विदेशी राजनय

Writer D by Writer D
27/03/2021
in Main Slider, अंतर्राष्ट्रीय, ख़ास खबर, राजनीति, राष्ट्रीय, विचार
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pm modi

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सियाराम पांडे ‘शांत’

किसी देश की शांति और इस बात पर निर्भर करती है कि उसका पड़ोसी कैसा है। वह अमन पसंद है तो दोनों देशप्रगति करती हैं। विकास में प्रतिस्पर्धा करते हैं और अगर अमन पसंद नहीं है तो दोनों देशों की ऊर्जा आपसी मुददों को निपटाने में ही जायाहोती रहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से देश की कमान संभाली है, पड़ोसी देशों को साधने काही उन्होंने हर संभवप्रयासकिया है। बांग्लादेश की उनकी आज की यात्रा को इसी क्रम में  देखा-समझा जा सकता है। भारत और बांग्लादेश के संबंध स्वाभाविक और समय की कसौटी पर कसे हुए हैं। बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों के पराभव और शेख हसीना के नेतृत्व में लोकतांत्रिक एवं उदारवादी ताकतों के मजबूत होने से यह संबंध और प्रगाढ़ हुए हैं। इसी का नतीजा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोरोना महामारी के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए बांग्लादेश को चुना है।

बांग्लादेश और भारत आजादी के पहले एक ही देश और संस्कृति के हिस्से थे। 1947 में जब पाक भारत से अलग हुआ और दुर्भाग्य से पूर्वी बंगाल उसके हिस्से में चला गया तो भले यह पाकिस्तान का हिस्सा रहा हो, लेकिन भारत के साथ यहां के लोगों के सांस्कृतिक, आर्थिक संबंध बने रहे। शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में जब बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी ने पाकिस्तान के दमन से त्रस्त होकर अपनी आजादी के लिए संघर्ष किया तो भारत ने आगे बढ़कर बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी को समर्थन दिया और पाक को युद्ध में परास्त करके बांग्लादेश के अभ्युदय का मार्ग प्रशस्त किया। इस तरह बांग्लादेश आज जहां  भी है और जिस स्थिति में है उसमें भारत का उतना ही योगदान है जितना बांग्लादेश का। बांग्लादेश बनने के बाद  भारत के साथ लंबे समय तक उसके संबंध उतार-चढ़ाव भरे रहे।

बांग्लादेश की आजादी के लिए मैंने भी दी थी गिरफ्तारी : पीएम मोदी

मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद सैन्य शासन रहा। नब्बे के दशक में जनरल इरशाद के पतन के बाद लोकतंत्र फिर अस्तित्व में आया  तो  बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते फिर से मधुर होने लगे, लेकिन जब-जब कट्टरवाद का उभार हुआ तो भारत के साथ रिश्तों में भी उतार-चढ़ाव आया। फिलहाल बांग्लादेश में अब जनरल इरशाद व बेगम खालिदा जिया का युग खत्म हो गया है और शेख हसीना के नेतृत्व में यहां उदारवादी, लोकतांत्रिक और सांविधानिक शक्तियों एवं संस्थाओं का सशक्तीकरण हुआ है।

इसका परिणाम है कि आज बांग्लादेश कट्टरपंथ के झमेले में उलझने के बजाय भारत के उदार सहयोग का भरपूर लाभ उठाकर तेजी से प्रगति कर रहा है और घोर गरीबी से उबर कर कम से कम विकास के मामले में भारत की बराबरी कर चुका है। आज प्रगतिशील बांग्लादेश अपनी आजादी की स्वर्ण जयंती मना रहा तो उसमें भारत के प्रधानमंत्री का जाना एक तरह से सोने पर सुगाहा है। दो दिवसीय बांग्लादेश यात्रा पर पहुंचे मोदी ने बांग्लादेश के नेशनल डे प्रोग्राम में शामिल होकर इसका गौरव बढ़ाया और आर्थिक, कूटनीति एवं ऊर्जा जैसे मुद्दों पर सहयोग के लिए शेख हसीना के साथ विमर्श किया।

दो दिन के दौरे पर बांग्लादेश पहुंचे PM मोदी, एयरपोर्ट पर दिया गार्ड ऑफ ऑनर

दरअसल बांग्लादेश और भारत की जैसे-जैसे दोस्ती प्रगाढ़ हो रही है उसी तरह करोबार, आवागमन भी दोनों देशों के बीच बढ़ रहा है। दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 11 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच चुका है, लेकिन इतने बड़े व्यापार में अधिकांश भारत ही निर्यात करता है। दोनों देशों के व्यापार में अभी भारत को फायदा ज्यादा है, लेकिन यह कोई मुद्दा नहीं है। असली मुद्दा भारत के सहयोग एवं संसाधनों का लाभउठाकर बांग्लादेश प्रगति कर रहा है और बांग्लादेश के साथ ऊर्जा, व्यापार, जल संसाधन, यातायात के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाकर भारत भी अपने पूर्वी हिस्से के विकास के लिए असीम संभावनाएं खोल सकता है। इसलिए देनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक, कूटनीतिक एवं सांस्कृतिक रिश्ते साझी समृद्धि के लिए बहुत जरूरी हैं और मोदी की बांग्लादेश यात्रा दरअसल इसी उद्देश्य को प्रेरित है। वैसे भी भारत के  पहले पहले और लुक ईस्ट की नीति में बांग्लादेश सबसे पहले आता है।

पाकिस्तान से वार्ता शुरू हो चुकी है। उम्मीद की जानी चाहिएकि दोनों देश मौके की नजाकत को समझेंगे और वह करेंगे जो उनके व्यापक हित में होगा। विवाद से नहीं, विकास की सोच से ही कोई देश आगे बढ़ता है।

Tags: bangladesh tourNational newspm modiSheikh Hasina
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