नक्सल अंकल प्लीज मेरे पापा को छोड़ दो, ये मार्मिक शब्द बीजापुर में मुठभेड़ के दौरान लापता हुए जवान की एक पांच साल की बच्ची के हैं। कोबरा कमांडों की ने बेटी आंसू पोछते हुए गुहार लगाई है। शनिवार को हुए नक्सली हमले और कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास के लापता होने की खबर के बाद से ही उनका परिवार गहरे सदमे में हैं।
नक्सलियों ने सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन पर हमला किया जिसमें 22 जवान शहीद हो गये। नक्सलियों ने दावा किया है कि उन्होंने राकेश को अगवा कर लिया है। राकेश्वर की पत्नी मीनू ने पत्रकारों से कहा कि हमें समाचार चैनलों से हमले के बारे में और उनके लापता होने के बारे में पता चला। सरकार या सीआरपीएफ में से किसी ने भी हमें इस अगवा होने की जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा कि राकेश्वर सिंह मन्हास के बारे में जानने के लिए उन्होंने जम्मू में सीआरपीएफ मुख्यालय तक पहुँचने के लिए कई प्रयास किए।
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मीनू ने कहा कि मुझे बताया गया था कि ऐसा कुछ नहीं है जिसे हम आपके साथ साझा कर सकें। एक बार जब हमें साफ तस्वीर मिल जाएगी, तो हम आपके पास आएंगे। मां की गोद में बेटी अपने पिता की सुरक्षित वापसी की गुहार लगाती है। राकेश्वर सिंह मन्हास की पत्नी बताती हैं कि शुक्रवार को रात साढ़े नौ बजे कि हमने आखिरी बार बात की थी। तब से वह फोन नहीं उठा रहे था, वह ड्यूटी पर जा रहे थे।
मीनू ने कहा कि यह सरकार का कर्तव्य है कि वह उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करे। मन्हास कहती हैं कि मेरे पति ने पिछले 10 वर्षों से देश की सेवा की और अब यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार की बारी है कि वह पास सुरक्षित और स्वस्थ लौट कर आए। राकेश्वर सिंह मन्हास 2011 में सीआरपीएफ में शामिल हुए थे और वह पिछले 10 वर्षों से देश की सेवा कर रहे थे। उन्हें असम से केवल तीन महीने पहले छत्तीसगढ़ तबादला किया गया था।
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उन्होंने अपने आँसू रोकते हुए कहा। मीनू ने कहा कि मुझे एक व्यक्ति का कॉल आया, जिसने खुद को छत्तीसगढ़ के स्थानीय रिपोर्टर के रूप में पेश किया। वह चाहता था कि मैं अपने पति की एक तस्वीर नक्सलियों के पास भेजूं। उन्होंने अपने परिवार के साथ इस मामले पर चर्चा करने के बाद अपने कॉल का जवाब नहीं दिया। मीनू ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से अपील की कि वह केंद्र सरकार से बात करें और प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से उनकी सुरक्षित वापसी का आग्रह करें।