उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने रविवार को कहा कि राजनीतिक जमीन खिसकती देख विपक्षी दल कृषि कानूनो को लेकर किसानो के बीच भ्रम फैलाने का काम कर रहे है जबकि उनकी मंशा किसानों का शोषण करने वाली बिचौलिया प्रथा को बचाने की है।
श्री शर्मा ने गनेशरा और बाकलपुर में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि सुधार कानून किसानों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के कानून हैं। राजनीतिक अस्तित्व खो रहे दल इस पर भ्रम फैलाने और बरगलाने में जुटे हैं लेकिन वो यह अच्छी तरह समझ लें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रहते किसानों का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि आलू से सोना बनाने वाले कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का विरोध कर रहे हैं। बिचौलियों के हितों की राजनीति करते आये राजनीतिक दलों को किसानों की आय दोगुनी करने की मोदी सरकार की नीति पच नहीं रही है।
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उन्होंने कहा कि वो भी किसान के बेटे हैं और किसान सभी का अन्नदाता है। देश के छोटी जोत के किसान मोदी के साथ हैं, क्योंकि उन्होंने बिचैलिया सिस्टम समाप्त किया है। अन्य किसानों में विपक्ष भ्रम फैला रहा है। एमएसपी और एपीएमसी मंडी व्यवस्था थी, है और रहेगी। कम कृषि योग्य भूमि वाले किसानों को कृषि सुधार कानूनों से कोई समस्या नहीं है। अन्य किसानों में भ्रम फैलाकर स्वार्थ की रोटियां सेंक रहा विपक्ष अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाएगा।
श्री शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी स्पष्ट किया है कि नये कानूनों से खेती में ज्यादा निवेश होगा। फॉर्मिंग एग्रीमेंट में सिर्फ उपज का समझौता होता है। जमीन किसान के पास रहती है, एग्रीमेंट और जमीन का कोई लेना देना ही नही है। विपक्ष ने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को 8 साल तक दबाये रखा।
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उन्होंने कहा कि नए कानूनों के अनुसार, अगर अचानक मुनाफा बढ़ जाता है, तो उस बढ़े हुए मुनाफे में भी किसान की हिस्सेदारी सुनिश्चित की गई है। प्राकृतिक आपदा आ जाए, तो भी किसान को पूरे पैसे मिलते हैं। नये कानूनों से किसानों के पास अपनी उपज बेचने के विकल्प बढ़ गये हैं।
किसानों को नए कानूनों के तहत पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की गयी है। किसानों की भूमि की बिक्री, पट्टा या बंधक पूरी तरह प्रतिबंधित है। विवाद के निवारण हेतु स्पष्ट समय सीमा के साथ प्रभावी विवाद समाधान तंत्र भी प्रदान किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किसान हित में ऐतिहासिक कदम उठाये गये हैं। उत्पादन भी तेजी से बढ़ा है और एमएसपी भी लागत का डेढ़ से दो गुना तक हुई है।
उन्होने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिये संकल्पित मोदी सरकार में 2014-19 में 76.85 लाख मीट्रिक टन दाल की खरीद की गई। जबकि 2009-14 तक किसानों से मात्र 1.52 लाख मीट्रिक टन दाल की खरीद की गई थी। यानी इसमें 4,962 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया।
श्री शर्मा ने कहा कि वर्ष 2009-14 के बीच दो लाख करोड़ रुपये के कुल धान की खरीद हुई जो वर्ष 2014-19 में ढाई गुना बढ़कर 5 लाख करोड़ रुपये की हुई। सरकारी एजेंसियों द्वारा पिछले वर्ष जहां 266.19 लाख एमटी धान की खरीद की गई थी, वहीं अब तक 315.87 लाख मीट्रिक टन धान किसानों से खरीदा जा चुका है। कुल खरीद का 64 फीसदी अकेले पंजाब के किसानों से खरीद की जा चुकी है।
उन्होने कहा कि वर्ष 2009-14 के बीच कुल गेहूं खरीद 1.5 लाख करोड़ रुपये हुई थी जो वर्ष 2014-19 में 2 गुना बढ़कर 3 लाख करोड़ रुपये की हुई। वर्ष 2009-14 की तुलना में वर्ष 2014-19 के बीच कुल दाल की खरीद में 75 गुणा की बढ़ोतरी हुई। खरीफ विपणन सत्र 2020-21 में सरकारी एजेंसियों द्वारा अब तक 315.87 लाख मीट्रिक टन धान, 1,00,120.96 मीट्रिक टन मूंग, मूंगफली, सोयाबीन एवं उड़द, 5,089 मीट्रिक टन कोपरा और 28,16,255 कपास की गांठें खरीदी जा चुकी हैं।