प्रयागराज। संगमनगरी में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिली। 92 साल के एक हिंदू बुजुर्ग का निधन हो गया। लेकिन बुजुर्ग का अंतिम संस्कार (Funeral) मुस्लिम और हिंदू दोनों रीति-रिवाजों से सम्पन्न हुआ। इलाके के मुस्लिम और हिंदू भाइयों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। बुजुर्ग प्रयागराज के तरांव गांव में रहने वाले थे।
92 साल के हिंदू राम अवतार उर्फ बैजनाथ का निधन रविवार को हो गया। राम अवतार के शव को नहला-धुलाकर तख्त पर लिटा दिया गया। उसके बाद मौलवियों ने फातिहा पढ़ा, फिर उन्हें दफन (Funeral) कर दिया गया। इलाके में जैसे ही यह खबर फैली, मौके पर पुलिस असलियत जानने के लिए पहुंची। कोरांव पुलिस निरीक्षक नितेंद्र शुक्ल अपने दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे।
बैजनाथ के परिजन ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार बैजनाथ की इच्छा के मुताबिक ही किया गया है। बैजनाथ के बेटों शिव प्रसाद और मोहनलाल की मानें तो वर्षों पहले उन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था। वह पांचों वक्त की नमाज पढ़ते थे। इसलिए उनकी इच्छा के अनुरूप ही मुस्लिम रीति-रिवाज से उनका अंतिम संस्कार (Funeral) किया गया है।
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राम अवतार उर्फ बैजनाथ उर्फ जेठू के घरवालों की मानें तो जेठू बचपन से ही मुस्लिम लोगों के बीच उठते-बैठते थे। अक्सर अल्लाह की चर्चा किया करते थे। उनकी अंतिम इच्छा थी कि उन्हें जलाने और जल में प्रवाहित करने की जगह घर के सामने अपनी ही जमीन में दफना दिया जाए। उनकी इच्छानुसार अंतिम संस्कार (Funeral) किया गया और घर के सामने ही उनकी कब्र बनाकर उन्हें दफना दिया गया।
हिंदू रीति-रिवाज से भी अंतिम संस्कार (Funeral)
बुजुर्ग के अलावा परिवार के बाकी सदस्य हिंदू ही है। इसलिए जेठू के पुत्र मोहन लाल ने लोटा (हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार की एक विधि) लिया है। मोहन ने बताया कि अब हिंदू परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार (Funeral) के अन्य रीति-रिवाज होंगे। पिता जी चाहते थे कि उन्हें दफनाया जाए, इसलिए इच्छानुसार उन्हें कब्र में दफन किया गया।