• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

चंद्रशेखर के बुजुर्गों की ना के बाद ही ‘हमवार’ हुआ पुष्कर के तख्त तक पहुंचने का रास्ता

Writer D by Writer D
04/07/2021
in Main Slider, उत्तराखंड, ख़ास खबर, राजनीति, राष्ट्रीय
0
14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

.. तो क्या चंद्रशेखर पं.भुवनेश्वर दयाल उपाध्याय के 11वें मुख्यमंत्री बनने जा रहे थे। ..तो क्या भारतीय जनसंघ के शलाकापुरुष पं. दीनदयाल उपाध्याय के परिजनों ने ऐन वक्त पर  देहरादून पहुंचकर ‘नयी भाजपा’ के रणनीतिकारों का खेल रोक दिया,ऐसे कई सवाल हैं जो मोदी—शाह की रणनीतियों में खासी दिलचस्पी रखने वाले घुमंतुओं और लिखंतुओं के मन—मस्तिष्क में उमड़—घुमड़ रहे हैं।

यह खेल दरअसल दस—पंद्रह दिन पहले शुरू हुआ। भाजपा मुख्यमंत्री तीरथ रावत की विदाई का मन बना चुकी थी। संघ और भाजपा के ताजातरीन चुनावी सर्वे उसे उत्तराखंड में सबसे बड़ी हार की ओर तेजी से दौड़ने का इशारा कर रहे थे। मोदी—शाह की चिंता वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर तो थी ही,लेकिन उनकी सबसे बड़ी परेशानी हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाजपा की लगातार कमजोर होती जा रही स्थिति को लेकर थी।

खबर तो यह भी है कि मोदी अगला लोकसभा चुनाव हरिद्वार से लड़ सकते हैं। कुंभ की असफलता और कोविड टेस्ट घोटाले ने दोनों की चिंताएं और बढ़ा दी थीं। भाजपा मान चुकी थी कि 2022 का विधानसभा चुनाव वह उत्तराखंड में हारने जा रही है। इस हार का ठीकरा किसी ऐसे चेहरे पर मढ़ा जाए जो इनोसेंट हो, गैर राजनीतिक हो तथा जिसकी राजनीति में कतई रुचि न हो। फिर हार के बाद उसकी राजनीतिक अपरिपक्वता का बहाना बनाकर अपनी इमेज सुरक्षित रखी जाए।

पुष्कर सिंह धामी ने CM पद की ली शपथ, बीजेपी के दिग्गज नेता रहे मौजूद

रणनीतिकार अपनी योजना पर बहुत सावधानी से काम कर रहे थे। उन्होंने चंद्रशेखर के जीवन—वृत्त का बहुत सावधानी से अध्ययन किया। वे जानते थे कि कई मुख्यमंत्रियों की टीम में प्रमुख भूमिका निभा चुके चंद्रशेखर की आमद उत्तराखंड की हर ग्राम पंचायत तक है। वह अंत्योदय विकास योजना, मुख्यमंत्री जन शिकायत प्रकोष्ठ, मुख्यमंत्री जनता—मिलन कार्यक्रम के कई वर्ष राज्य प्रभारी रहे हैं। बहुचर्चित अटल खाद्यान्न योजना एवं सेवा का अधिकार अधिनियम उन्होंने ही उत्तराखंड में शुरू करवाया। केवल चार घंटे विश्राम करने वाले चंद्रशेखर हर फोन को स्वयं ही उठाते हैं। गांव—गांव में आज भी उनकी कुशल प्रशासनिक क्षमता के किस्से हैं। शीर्ष अदालतों में भाषायी स्वतंत्रता के उनके देश व्यापी अभियान का प्रभाव केंद्र उत्तराखंड ही है। नैनीताल हाईकोर्ट में मुकदमों की कार्यवाही हिंदी में कराने के लिए उन्होंने कड़ा संघर्ष किया है।  मुख्यमंत्रियों की टीम में रहते हुए प्रतिदिन बीस से 25 लोगों की समस्या का निस्तारण वे कर चुके चंद्रशेखर की राजनीति में कतई रुचि नहीं है। वह हमेशा मीडिया और उसके कैमरों से दूर रहते हैं। भाजपा के रणनीतिकारों को इस दृष्टि से चंद्रशेखर का नाम सबसे मुफीद लगा।

 

तीरथ रावत से दिल्ली में इस्तीफा लेने के बाद बाकायदा तरीके से चंद्रशेखर का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए चलाया गया।सूचना फैलते ही संघ के शीर्ष नेतृत्व के कान खड़े हुए। कुछ शीर्ष लोगों को देहरादून भोजा गया। भावुक बातें हुईं। बाहर रह रहे चंद्रशेखर के बुजुर्गों से चंद्रशेखर की बात कराई गई। जन संघ के स्थापना पुरुष पं.दीनदयाल उपाध्याय की धधकती चिता के समक्ष संघ—प्रमुख रहे गुरु गोलवरकर, नाना जी देशमुख और सुंदर सिंह भंडारी की उपस्थिति में उनके पूर्वजों द्वारा ली गई वह शपथ और प्रतिज्ञा याद दिलाई गई  जिसमें कहा गया था कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य संघ की किसी भी राजनीतिक शाखा में नहीं जाएगा। चंद्रशेखर को उनके देशव्यापी ंिदी से न्याय अभियान की चरणबद्ध सफलताओं का ध्यान दिलाया गया और अंतत: भाजपा के इस प्रस्तावको ससम्मान अस्वीकार करने  के लिए उनसेकहा गया; इसके पश्चात परिवार के एक  वरिष्ठ सदस्य ने इसकी सूचना भाजपा को दी।

रणनीतिकारों के हाथ—पांव फूल गये; उत्तराखंड भाजपा के बड़े सूरमा किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए पहले ही भाग खड़े हुए थे। वे हार के दांवसे बचना चाह रहे थे , अपना राजनीतिक कैरियर मुकम्मल रखने के लिएनित नए बहाने गढ़ रहे थे। नतीजा यह हुआ कि किसी  बैक बेंचर को पहली सीट पर बैठाने की कवायद शुरू हो गई। पुष्कर की तख्तनशीनी  इस धरी हुई योजना कापरिणाम है।

उधर पुष्कर के मुख्यमंत्री बनने की घोषणा के बाद उत्तराखंड भाजपा का राजनीतिक तापमान बढद्य गया। सूरमा तरीके से पलायन कर गए। झगडद्या उनके बीच हो रहा है जिनका नाम कभी मुख्यमंत्री पद के लिए था ही नहीं, आने वाला समय भाजपा के लिए और कठिन होगा। उत्तराखंड में भाजपा एक बड़ी टूट की ओर बढ़ रही है। रणनीतिकार इतना खुश हो सकते हैं कि दोष मढ़ने के लिए उन्हें एक सिर मिल गया है।

Tags: Chandrashekhar Upadhyaypushkar singh dhamiUttrakhand Newsuttrakhand news in hindi
Previous Post

विमान दुर्घटना में अबतक 45 की मौत, राहत और बचाव अभियान पूरा

Next Post

गैंगेस्टर एक्ट में फरार चल रहे तीन इनामी बदमाश गिरफ्तार, भेजा जेल

Writer D

Writer D

Related Posts

CM Yogi
Main Slider

बरसात से पहले नाले-नालियों को सफाई हो सुनिश्चितः मुख्यमंत्री

16/06/2025
CM Yogi
उत्तर प्रदेश

योगी सरकार का महिला सुरक्षा का वादा देश के लिए बना रोल मॉडल

16/06/2025
CM Yogi did worship at Shiv Baba Dham
उत्तर प्रदेश

कुछ लोगों को केवल परिवार का विकास अच्छा लगता है, परिवारवाद के नामपर जातिवाद फैलाते हैं : योगी आदित्यनाथ

16/06/2025
Anand Bardhan
राजनीति

विजनिंग अभ्यास सभी सरकारी विभागों के लिए मुख्य प्राथमिकता होनी चाहिए: आनन्द बर्द्धन

16/06/2025
GIDA
Main Slider

गीडा को सीएम के हाथों मिलेगी 1551 करोड रुपये की परियोजनाओं की सौगात

16/06/2025
Next Post
arrested

गैंगेस्टर एक्ट में फरार चल रहे तीन इनामी बदमाश गिरफ्तार, भेजा जेल

यह भी पढ़ें

Assistant Professor

असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का पूरा होगा सपना, इस सरकारी विभाग में निकली वैकेंसी

24/08/2024
Hair

मजबूत आर घने बालों के लिए फॉलो करें ये रूटीन

20/01/2025
murder

घर के बाहर सो रहे की अधेड़ की गोली मारकर हत्या

22/10/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version