वाराणसी। अयोध्या में नवनिर्मित श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले काशी के प्रकांड पंडित आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित (Pandit Laxmikant Dixit ) शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। काशी के मणिकर्णिकाघाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि उनके ज्येष्ठ पुत्र जयराम दीक्षित ने दी।
लक्ष्मीकांत दीक्षित (Pandit Laxmikant Dixit ) का सुबह निधन हो गया था। वे 82 वर्ष के थे और उम्रजनित बीमारियों से लंबे समय से जूझ रहे थे। उन्होंने वाराणसी के पंचगंगाघाट स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली।
दीक्षित (Pandit Laxmikant Dixit ) के निधन की जानकारी पाते ही काशी के विद्वत समाज, परिचितों और शुभचिंतकों में शोक की लहर दौड़ गई। बड़ी संख्या में लोग उनके आवास पर शोक जताने पहुंचे। आवास से निकली अंतिम यात्रा में भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करवाने वाले मुख्य आचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन
लक्ष्मीकांत दीक्षित का परिवार मूलरूप से महाराष्ट्र के सोलापुर जिले से काशी आया था। काशी में लक्ष्मीकांत दीक्षित यजुर्वेद के मूर्धन्य विद्वानों में गिने जाते थे। अयोध्या में श्रीरामलला की विगत 22 जनवरी हो हुई प्राण प्रतिष्ठा में पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने मुख्य आचार्य के रूप में 121 अन्य आचार्यों का नेतृत्व किया था। श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के सभी कर्मकांड उनकी ही देखरेख में संपन्न कराए गए थे।
लक्ष्मीकांत दीक्षित (Pandit Laxmikant Dixit ) के निधन पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने शोक जताया है। आदित्यनाथ ने एक्स पोस्ट में अपने शोक संदेश में लिखा कि काशी के प्रकांड विद्वान एवं श्रीराम जन्मभूमि प्राणप्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, वेदमूर्ति, आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का गोलोकगमन अध्यात्म और साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है। संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति की सेवा के लिए वे सदैव स्मरणीय रहेंगे। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि वे दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान और उनके शिष्यों तथा अनुयायियों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।