भरथना, इटावा। विधानसभा निर्वाचन (UP Election) में विभिन्न दलों के प्रत्याशियों के भाग्य का फैंसला ईवीएम (EVM) में कैद होने के बाद क्षेत्र के चहुँमुखी विकास के लिए आम जनता की उम्मीदें अपने आने वाले विधायक (MLA) के ऊपर टिकीं हैं। विकास के नाम पर वोट देने वाली भरथना विधानसभा की जनता जनप्रतिनिधियों के चुने जाने के बाद खाली हाथ ही रहती है और विकास की राह में एक-एक दिन गुजारती है और अन्ततः स्थिति शून्य ही रहती है। ऐसा सिलसिला विगत कई वर्षों से अनवरत चला आ रहा है।
आपको बताते चलें कि विधान सभा निर्वाचन के चलते भरथना विधान सभा अ.जा. का बीते 20 फरवरी को मतदान होने के उपरान्त विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों की मेहनत व वादे किस तरह रंग लाते हैं यह तो 10 मार्च को ही तय होगा। लेकिन क्षेत्रीय जनता अपने क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों के विकास के लिए लगातार कयास लगाये जा रही है। क्योंकि क्षेत्रीय मूलभूत सुविधाओं और विकास के नाम पर भरथना दिनोंदिन पिछडता चला जा रहा है।
सम्पूर्ण विधान सभा क्षेत्र का सबसे बडा कस्बा भरथना, जो तहसील, थाना व ब्लाक स्तरीय होने के बाबजूद भी विकास से अछूता है। क्षेत्रीय जनता समेत भरथना कस्बावासियों को सस्ते/सुगम यातायात के माध्यम से विभिन्न महानगरों से जोडने वाला भरथना रेलवे स्टेशन आज आधा दर्जन से अधिक एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव निरस्त होने के कारण वीरान बना हुआ है। जबकि भरथना रेलवे स्टेशन पर रूकने वाली संगम, महानन्दा, मुरी, ऊँचाहार, तूफान समेत आधा दर्जन से अधिक एक्सप्रेस/पैसेंजर ट्रेनों का बीते करीब 35-40 वर्षों से ठहराव नियमित हुआ करता था, आज लगभग दो वर्षों से ट्रेनों का भरथना रेलवे स्टेशन पर ठहराव न होने के कारण क्षेत्रीय जनता आवागमन हेतु अत्यधिक धन/समय गंवाने को मजबूर बनी हुई है। हालांकि वर्तमान सांसद के प्रयासों के चलते भरथना रेलवे स्टेशन पर मात्र एक नई ट्रेन आगरा-लखनऊ इण्टरसिटी एक्सप्रेस का ठहराव विगत करीब दो वर्ष पहले शुरू हो चुका है।
बीते वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव में भारी बहुमत से सत्ता में आयी भाजपा सरकार के आने पर भरथनावासियों की उम्मीद जगी कि अब शायद भरथना में रोडवेज बस स्टैण्ड स्थापना सम्भव होगी। जबकि रोडवेज बस स्टैण्ड हेतु नगर के बीचोंबीच काफी सरकारी भूमि भी उपलब्ध है, जो खण्डर के रूप में अनुपयोगी पडी हुई है। गौर फरमाने वाली बात तो यह है कि केन्द्र व प्रदेश सरकार के सत्ताधारी जनप्रतिनिधियों द्वारा भरथना का प्रतिनिधित्व करने के बाबजूद भी उनकी अनदेखी व विकासपरक योजनाओं की ओर दिलचस्पी न होने का खामियाजा क्षेत्रीय जनता भुगत रही है।
विदित हो कि नगर में भयंकर जाम की समस्या से निजात दिलाये जाने के लिए पिछली अखिलेश सरकार द्वारा करोडों की लागत का रेलवे उपरिगामी सेतु का निर्माण करा दिया गया था। आज करीब पाँच वर्ष से अधिक का समय व्यतीत होने पर भी उक्त उपरिगामी सेतु को बकेवर मार्ग से जोडने वाला मात्र करीब 400 मीटर का पालीबम्बा माइनर सडक मार्ग अत्यन्त जीर्ण-शीर्ण व ऊबड खाबड होने के कारण वाहन स्वामी किसी घटना दुर्घटना के भय के चलते उक्त उपरिगामी सेतु का उपयोग करने से वंचित बने हुए हैं और मजबूरन रेलवे फाटक के जाम में घण्टों फंसकर अपने गन्तव्य की ओर पहुँचते हैं।
वहीं नगर में शैक्षिक गतिविधियों में सुधार लाने के लिए कोई भी सरकारी महाविद्यालय न होना भी शिक्षा जगत में एक चिन्ता का बडा विषय है।
अब देखना यह होगा कि प्रदेश में किस दल की सरकार बनती है और भरथना विधान सभा से विधायक के रूप में चुना जाने वाला जनप्रतिनिधि भरथना की मूलभूत समस्याओं जैसे- ट्रेनों का ठहराव, रोडवेज बस स्टैण्ड की स्थापना, रेलवे उपरिमागी सेतु का पालीबम्बा मार्ग निर्माण, सरकारी महाविद्यालय की स्थापना समेत दर्जनों जनहितकारी समस्याओं का समाधान करने में खरा उतर पायेगा या नहीं। या यूँ ही जनता को लोक लुभावने सपने दिखाकर जनप्रतिनिधि अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकते रहेगें और समस्याओं व असुविधाओं के बोझतले दबी क्षेत्रीय जनता स्वयं को ठगा सा महसूस करेगी।