पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा यूनिवर्सिटी (Nalanda University) के नए कैंपस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत 17 देशों के राजदूत मौजूद रहे। कई देशों के छात्र भी गवाह बने।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के हाथों नालंदा यूनिवर्सिटी (Nalanda University) का उद्घाटन होना बहुत खुशी की बात है। वो इस अवसर पर उनका स्वागत और अभिनंदन करते हैं। यूनिवर्सिटी के उद्घाटन के साथ ही बिहार को उसकी खोई हुई विरासत भी फिर से मिलने वाली है।
उद्घाटन से पहले पीएम मोदी ने प्राचीन विश्वविद्यालय (Nalanda University) के खंडहरों को बारीकी से निहारा है।5वीं सदी की नालंदा यूनिवर्सिटी को आक्रांताओं ने भले ही नष्ट कर हिंदू और बौद्ध धर्म को खाक में मिलाने की कोशिश की हो। मगर, नालंदा यूनिवर्सिटी बीतती सदियों के साथ और भी ख्याति पाती गई और भी प्रख्यात होती चली गई।
नालंदा यूनिवर्सिटी (Nalanda University) के नए परिसर की खासियत
आपको नालंदा यूनिवर्सिटी के नए परिसर के बारे में कुछ खास जानकारी दे देते हैं। नए परिसर में 2 शैक्षणिक ब्लॉक होंगे। 1900 छात्रों के बैठने की क्षमता है। 550 छात्र की क्षमता वाले हॉस्टल हैं। 2000 लोगों की क्षमता वाला एम्फीथिएटर है। 3 लाख किताब की क्षमता वाली लाइब्रेरी है। नेट जीरो ग्रीन कैंपस है। विश्वविद्यालय की कल्पना भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन देशों के बीच संयुक्त सहयोग के रूप में की गई है।
नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) का इतिहास
नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) की स्थापना 450 ई। में गुप्त सम्राट कुमार गुप्त प्रथम ने की थी। बाद में इसे हर्षवर्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण मिला। विशेषज्ञों के अनुसार, 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों ने इस विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया था। इससे पहले करीबन 800 सालों तक इन प्राचीन विद्यालय में पढ़ाई हुई है।
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पटना से 90 किलोमीटर और बिहार शरीफ से करीब 12 किलोमीटर दूर दक्षिण में आज भी इस विश्व प्रसिद्ध प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय के खंडहर स्थित हैं। इस विश्वविद्यालय (Nalanda University) को तक्षशिला के बाद दुनिया का दूसरा सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता है। आवासीय परिसर के तौर पर यह पहला विश्वविद्यालय है, यह 800 साल तक अस्तित्व में रहा।