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गंगा संरक्षण के लिए 548 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मिली मंजूरी

Writer D by Writer D
11/04/2025
in उत्तर प्रदेश, मुरादाबाद, राजनीति
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Ganga conservation

Ganga conservation

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लखनऊ/नई दिल्ली। गंगा के संरक्षण (Ganga Conservation) और पुनर्जीवन को एक नई गति देने की दिशा में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की 61वीं कार्यकारी समिति की बैठक, एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल की अध्यक्षता में सफलतापूर्वक संपन्न हुई। इस बैठक में गंगा (Ganga) नदी के पुनर्जीवन को समर्पित कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई। ये परियोजनाएं न केवल गंगा की निर्मलता को सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस कदम हैं, बल्कि सतत विकास को प्रोत्साहित करने और इस पावन नदी की समृद्ध पर्यावरणीय एवं सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने की दिशा में भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

कार्यकारी समिति की बैठक में “रामगंगा नदी में प्रदूषण की रोकथाम” के लिए मुरादाबाद ज़ोन-3 और ज़ोन-4 में इंटरसेप्शन, डायवर्जन, एसटीपी और अन्य संबद्ध कार्यों से जुड़ी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को मंजूरी दी गई। 409.93 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य रामगंगा नदी (Ram Ganga River) को प्रदूषण मुक्त बनाना है। परियोजना के तहत ज़ोन-3 में 15 एमएलडी और ज़ोन-4 में 65 एमएलडी क्षमता वाले आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही 5 प्रमुख नालियों को इंटरसेप्ट कर डायवर्ट किया जाएगा। इस योजना में 50 केएलडी क्षमता का सेप्टेज को-ट्रीटमेंट सुविधा भी प्रस्तावित है, जो मलजल प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाएगी। यह परियोजना सिर्फ निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें आगामी 15 वर्षों तक संचालन एवं रखरखाव भी शामिल है, जिससे इसके सतत और दीर्घकालिक प्रभाव को सुनिश्चित किया जा सके।

कार्यकारी समिति की बैठक में “कानपुर शहर, उत्तर प्रदेश के 14 अनटैप नालों के इंटरसेप्शन और डायवर्जन” से जुड़ी एक अहम परियोजना को 138.11 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत पर मंजूरी दी गई, जो शहर की जल निकासी और स्वच्छता प्रणाली को एक नई दिशा देगी। इस परियोजना के अंतर्गत नालों से सीधे नदी (Ganga) में गिरने वाले सीवेज को रोककर, उसे प्रस्तावित सीवेज पंपिंग स्टेशनों और मैनहोल्स के माध्यम से शोधन केंद्रों तक पहुंचाया जाएगा। इसमें एक वर्ष के संचालन और रखरखाव की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है।

कार्यकारी समिति ने उपचारित जल के सुरक्षित पुन: उपयोग के लिए राज्य नीति और व्यवसाय मॉडल के विकास तथा एनएमसीजी के लिए एक पॉडकास्ट श्रृंखला के निर्माण को भी मंजूरी दी है। इसमें उपचारित जल के सुरक्षित पुन: उपयोग से जुड़ी नीतियों के विकास, उत्तर प्रदेश के कानपुर के लिए एक व्यवसाय मॉडल तैयार करना, और “नमामि गंगे: ट्रांसफॉर्मिंग इंडियाज़ लाइफलाइन” शीर्षक से पॉडकास्ट श्रृंखला का निर्माण शामिल है। यह श्रृंखला एनएमसीजी की पहलों के प्रति जागरूकता बढ़ाने, ज्ञान का प्रसार करने और उपचारित जल के सुरक्षित पुन: उपयोग को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित होगी।

कार्यकारी समिति ने “बोट्स ऑफ द गंगा बेसिन: रिवराइन एंड मेरीटाइम हेरिटेज” शीर्षक वाली एक विशेष डॉक्यूमेंट्री फिल्म के निर्माण को मंजूरी दी है। यह फिल्म गंगा बेसिन में सदियों से फलती-फूलती लकड़ी की पारंपरिक नाव निर्माण कला को एक नए अंदाज़ में प्रस्तुत करेगी। डॉक्यूमेंट्री का फोकस गंगा बेसिन में विकसित नाव निर्माण की सांस्कृतिक गहराई और ऐतिहासिक विरासत पर होगा। यह केवल नावों की बनावट की कहानी नहीं होगी, बल्कि उन कारीगरों की ज़िंदगियों का जीवंत चित्रण भी करेगी, जिनके हाथों ने इस परंपरा को पीढ़ियों से संजो कर रखा है।

इन पहलों के सफल क्रियान्वयन के पश्चात गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता और पुनर्जीवन के प्रयासों को एक नई दिशा और गति मिलेगी। ये परियोजनाएं न केवल प्रदूषण नियंत्रण और जल संरक्षण में सहायक होंगी, बल्कि नदी तटीय विरासत के संरक्षण और सतत जल प्रबंधन प्रणाली के विकास में भी मील का पत्थर साबित होंगी। इन पहलों के माध्यम से नदियों से जुड़ी पारिस्थितिकीय चुनौतियों का समाधान कर, उन पर निर्भर जनसमुदायों के लिए एक स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित किया जा सकेगा।

Tags: Muradabad newsnamami gangaup news
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