उत्तर प्रदेश में औरैया जिले के सहायल क्षेत्र में शुक्रवार को खेत में खुदाई करने के दौरान 12 सोन व चांदी के पुरातन सिक्के मिले हैं, उनपर अरबी भाषा लिखी है।
फिलहाल सभी सिक्के मजिस्ट्रेट की सुपुर्दगी में रखवा दिए गये है। पुरातत्व विभाग के अधिकारी ने इन सिक्कों को बेश कीमती बताते हुए कहा कि बरामद सिक्के औरंगजेब ने अपने पांचवे बेटे कम्बक्ष के नाम से बनवाया थे और यह औरंगजेब की टकसाल में बने थे, हालांकि यह पूर्ण चलन में नहीं आ सका। जिले के सहायल क्षेत्र में मौर्य वंश से लेकर मुगलकाल तक के अवशेष मिलते रहे हैं।
क्षेत्राधिकारी सुरेंद्र नाथ यादव के अनुसार साहयल क्षेत्र के गांव बादशाहपुर छौंक निवासी दीपू पाल के घर में भराई करने के लिए मकान से सटे खेत पर खुदाई कर रहा था तभी अचानक फावड़ा किसी चीज से टकराया तो दीपू ने देखा तो कुछ पीली धातु व चांदी के सिक्के बरामद हुए। जिससे वहां पर अफरातफरी मच गयी, जानकारी होते ही चौकीदार ने इसकी सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने दीपू से सोने के दस व चांदी के दो सिक्के बरामद किए।
उन्होंने बताया कि सिक्के कोषागार में जमा करके अन्य सिक्कों की भी तलाश की जा रही है। सुरक्षा के लिए गांव में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। पुरातत्व विभाग को इसकी सूचना दे दी गई है।
इस बीच पुरातत्व विभाग लखनऊ के सहायक निदेशक नरसिंह जी का कहना है कि, सिक्कों में अरबी भाषा का प्रयोग मुगलकाल में ही हुआ है। इस तरह का सिक्का बैंगलोर के प्रमुख न्यूमिज़माटिक नीलामी घर मरुधर आर्ट्स में भी है। धातु अगर सोना है तो फिर यह औरंगजेब कालीन दुर्लभ सिक्का है।
गौरतलब है कि इलाके में काफी समस से इस तरह के सिक्के निकल रहे है। पुरातत्व व इतिहासकारो का कहना है कि औरंगजेब ने 1605 ई0 में ऐसे सिक्को को टकसाल में बनावाया था। ये सिक्के उनके पांचवे बेटे कम्बक्श के नाम पर बनाये गये थे। शुद्ध सोने के सिक्के पर अरबी भाषा लिखी है।
औरंगजेब ने जब मंदिरों को तहस नहस किया था तो वह हरदोई कन्नौज होते हुए यहां आया था। साहयल क्षेत्र में प्रतिहार वंश कालीन भी कई मंदिर थे, जिन्हे मोहम्मद गोरी के बाद औरंगजेब ने नष्ट किया था औऱ यहीं खेरे में ठिकाना भी बनाया था। यहां से होते हुए औरंगजेब कानपुर देहात के बानीपारा गया था । वहां शिव मंदिर में बर्ररो ने औरंगजेब की सेना को खदेड़ दिया था और सेना फतेहपुर गंगा नदी किनारे निकल गई थी। कयास है कि यह सिक्के उसी समय के है जो अब खुदाई में निकले है।
सहायल क्षेत्र में गांव धुपकरी में दो साल पहले सूर्य प्रतिमा खुदाई में निकली थी। इधर जीवा सिरसानी में बीते साल एक खेरे में काफी कौड़िया निकली थी। कौड़ी शेरशाह सूरी के शासन काल से प्राचीन भारतीय मुद्रा हुआ करती थी।
कन्नौज राजा जयचंद और मोहम्मद गोरी से युद्ध के बाद। गोरी कन्नौज से मंदिरो को तहस नहस कर देवकली औरैया तक पहुंचा था। साहयल में कई मंदिर व खेरे नष्ट किये थे।