वैशाख माह की अमावस्या (Vaishakh Amavasya) 8 मई को मनाई जाने वाली है। इस दिन भगवान विष्णु और पितरों की पूजा की जाती है। अमावस्या के दिन तर्पण और पिंडदान आदि कार्य किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, तर्पण और पिंडदान करने से पितरों को शांति मिलती है। साथ ही मृत्यु लोक में स्वर्ग के समान सुख मिलता है। वैशाख अमावस्या (Vaishakh Amavasya) व्रत के दौरान कथा का पाठ न किया जाए, तो पूजा अधूरी मानी जाती है। इस दिन व्रत कथा का पाठ करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।
वैशाख अमावस्या (Vaishakh Amavasya) व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में धर्मवर्ण नाम का एक ब्राह्मण था। उन्होंने किसी संत से सुना था कि घोर कलियुग में भगवान विष्णु के ध्यान से बढ़कर कोई दूसरा पुण्य कार्य नहीं होगा। यज्ञ करने से ज्यादा पुण्य भगवान का ध्यान करने से मिलेगा।
धर्मवर्ण ने संत की यह बात मान ली और यात्रा पर निकल पड़े। भ्रमण के दौरान धर्मवर्ण पितृ लोक पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि उनके पिता बहुत दर्द में हैं। पितरों ने धर्म वर्ण को बताया कि उनकी यह स्थिति संन्यास के कारण हुई है। क्योंकि अब उनकी शांति के बदले पिंडदान करने वाला कोई नहीं है।
पूर्वजों ने तुम्हें पारिवारिक जीवन शुरू करने और संतान उत्पन्न करने का आदेश दिया है। तभी हमें संतुष्टि होगी। धर्मवर्ण ने पितरों की आज्ञा का पालन करते हुए, पारिवारिक जीवन शुरू किया और वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पिंडदान करके पितरों को मुक्ति दिलाई।